मकर संक्रांति के मद्देनजर इन दिनों सड़कों के किनारे अस्थाई चूड़ा, लाई, पट्टी व तिलकुट आदि की दुकानें सज गई हैं। इस साल तिल के दाम 20 रुपये ज्यादा बढ़ गए हैं। जबकि इससे बनने वाली मिठाइयों के दाम भी बढ़े हैं। पट्टी और तिलकुट की मांग सबसे ज्यादा है। तिलकुट 300 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है। गुड़, चूड़ा और लाई भी महंगे हैं।
मंगलवार को बाजार में चहल-पहल दिखी। महंगाई और वस्तुओं की कीमतें बढ़ी होने के बावजूद लोग सामान की खरीदारी कर रहे थे। लोनों ने तिलकुट से लेकर लाई, गुड़, तिल, चूड़ा, गट्टा, गुड़ की पट्टी और उड़द दाल की खरीदारी की। इस वर्ष महंगाई की मार भी दिख रही है। मकर सक्रांति में उपयोग होने वाले सभी सामान की कीमत पिछले साल की अपेक्षा बढ़ गई है।
तिल का दाम दोगुना होने से बढ़े वस्तुओं के दाम
दुकानदा श्याम बिहारी गुप्ता कहना है कि इस वर्ष तिल के दाम में दोगुनी वृद्धि होने से वस्तुएं महंगी बिक रही हैं। पर्व पर तिल से बनी वस्तुएं ही ज्यादा बिकती हैं। इस वर्ष तिल का दाम पिछले वर्ष की अपेक्षा 120 से बढ़कर 140 रुपये किलो पर पहुंच गया है। धर्म व रीति रिवाजों के अनुसार चूड़ा व दही के साथ तिल से बनी वस्तुओं के खाने की परंपरा रही है। तिल के महंगा होने से लोगों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है।
तिलकुट 200 से 300 रुपये प्रति किलो
पर्व पर गया में बने तिलकुट की काफी मांग है। इस वर्ष तिलकुट 200 से 300, गुड़ 60 से 80, चूड़ा 60 से 70, गुड़ की पट्टी 120 से 150, गट्टा 100 से 120, गुड़ का ढूंढ़ा 100 व बेसन का ढूंढ़ा 160 प्रति किलो की दर से बिक रहा है। दुकानदार ब्रजेश गुप्ता ने बताया कि वस्तुओं के मूल्य में पिछले वर्ष की अपेक्षा कुछ तेजी आई है।