आसान लेनदेन और डिलीवरी से ऑनलाइन किराना खरीद में वृद्धि : आईआईएम

आसान लेनदेन और डिलीवरी से ऑनलाइन किराना खरीद में वृद्धि : आईआईएम

नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। आईआईएम के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि ऑनलाइन भुगतान प्रणाली की सुविधा और डिलीवरी के कारण युवा उपभोक्ता तेजी से ऑनलाइन ग्रॉसरी शॉपिंग (ओजीएस) का विकल्प चुन रहे हैं। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए आईआईएम के शोधकर्ताओं ने वर्ष 2000 और 2023 के बीच 27 देशों में प्रकाशित 145 शोध लेखों का विश्लेषण किया है।

आईआईएम लखनऊ व नागपुर के मुताबिक पिछले दशक में, ऑनलाइन किराने की खरीदारी इसकी उपलब्धता और त्वरित डिलीवरी के कारण बढ़ी है। यह प्रणाली विशेष रूप से महानगरीय क्षेत्रों में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं को पसंद आई है। इस अध्ययन के अनुसार, 21-40 वर्ष की आयु के युवा उपभोक्ता ओजीएस के प्राथमिक उपयोगकर्ता हैं, जो कि बुजुर्ग उपभोक्ताओं की तुलना में एक बदलाव का प्रतीक है।

आईआईएम लखनऊ व नागपुर ने अमृता स्कूल ऑफ बिजनेस, कोयंबटूर, और आईपीएएम लिस्बोआ – मार्केटिंग बिजनेस स्कूल, की एक शोध टीम के साथ मिलकर पिछले दो दशकों में ऑनलाइन किराना खरीदारी (ओजीएस) की आदतों पर यह समीक्षा अध्ययन किया है।

आईआईएम लखनऊ के सहायक प्रोफेसर डॉ. अरविंद श्रॉफ ने कहा, “ओजीएस का विकास मुख्य रूप से स्मार्टफोन और इंटरनेट पहुंच जैसी तकनीकी प्रगति से प्रेरित है। यह उपभोक्ताओं की पसंद और सुविधा की मांग को पूरा करता है। यह अध्ययन के निष्कर्षों में ऑनलाइन और ऑफलाइन व्यवसायों को एकीकृत करते हुए दोहरे चैनल दृष्टिकोण अपनाने वाले सुपरमार्केट के लिए वित्तीय और परिचालन संबंधी निहितार्थ हैं।“

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि ओजीएस व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारकों में उम्र, लिंग, आय, मूल्य निर्धारण, छूट, वितरण शुल्क, लेनदेन लागत, विज्ञापन, प्रचार, सूचना गुणवत्ता और स्थिरता जैसे उपाय शामिल हैं। परेशानी मुक्त ऑनलाइन भुगतान और सहकर्मी रेटिंग ऑनलाइन किराने की खरीदारी के लिए उपभोक्ता की प्राथमिकताओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कुल मिलाकर, पसंद और सुविधा, किराने के सामान की खरीदारी के लिए इन ऑनलाइन प्लेटफार्मों द्वारा सक्षम किए जाने से उपभोक्ताओं की खरीदारी के इरादों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। शोधकर्ता ऑनलाइन शॉपिंग को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अधिक गुणात्मक शोध की सलाह देते हैं और ओजीएस व्यवहार को प्रभावित करने वाले अंतर्निहित कारकों का पता लगाने के लिए मिश्रित-विधि दृष्टिकोण का सुझाव देते हैं।

–आईएएनएस

जीसीबी/एबीएम

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