ईडी ने बैंक धोखाधड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल, परिवार, विभिन्न कंपनियों की 538 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की

ईडी ने बैंक धोखाधड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल, परिवार, विभिन्न कंपनियों की 538 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की

नई दिल्ली, 1 नवंबर (आईएएनएस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए कहा कि उसने बैंक धोखाधड़ी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बंद हो चुकी जेट एयरवेज के संस्थापक अध्यक्ष नरेश गोयल, उनकी पत्‍नी अनीता गोयल और बेटे निवान गोयल की लंदन, दुबई और भारत के विभिन्न राज्यों में स्थित कंपनियों की 538 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।

यह कार्रवाई ईडी द्वारा केनरा बैंक के 538 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में गोयल दंपति और चार अन्य कंपनियों को नामित करते हुए आरोप पत्र दायर करने के एक दिन बाद हुई है।

ईडी ने एक बयान में कहा कि उसने जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड (जेआईएल) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत 538.05 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं।

कुर्क की गई संपत्तियों में जेटएयर प्राइवेट लिमिटेड, जेट एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड (जेआईएल) के संस्थापक अध्यक्ष नरेश गोयल, उनकी पत्‍नी अनीता की विभिन्न कंपनियों और अलग-अलग व्यक्तियों के नाम पर 17 आवासीय फ्लैट और बंगले और वाणिज्यिक परिसर शामिल हैं। ईडी ने कहा, ”गोयल, बेटा निवान गोयल की कंपनियां लेदन, दुबई और भारत के विभिन्न राज्यों में स्थित हैं।”

ईडी की जांच से पता चला कि जेआईएल ने एसबीआई और पीएनबी के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ से कर्ज लिया।

एजेंसी ने आरोप लगाया, “नरेश गोयल ने बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम दिया, जिसमें जेटलाइट लिमिटेड (100) को ऋण देकर अतार्किक और बढ़े हुए जनरल सेल्स एजेंट (जीएसए) कमीशन की आड़ में जेआईएल के फंड को व्यवस्थित रूप से डायवर्ट किया गया, विभिन्न पेशेवरों और सलाहकारों को बड़े अस्पष्ट भुगतान दिए गए। एयर सहारा का अधिग्रहण करने के लिए प्रतिशत सहायक कंपनी), और बाद में बैलेंस शीट में प्रावधान करके ऋण माफ कर दिया।“

इसमें कहा गया है कि इसकी जांच से पता चला है कि जीएसए कमीशन का भुगतान जेट एयर प्राइवेट लिमिटेड (भारत के लिए जेआईएल का जीएसए), जेट एयरवेज एलएलसी दुबई (जेआईएल का वैश्विक जीएसए) को गलत तरीके से किया गया था और जेआईएल को इन जीएसए के परिचालन खर्चों के लिए गलत तरीके से भुगतान किया गया था।

ईडी ने कहा, “ये सभी जीएसए लाभकारी रूप से नरेश गोयल के स्वामित्व में थे। इसलिए, जेआईएल का प्रबंधन नरेश गोयल की राह पर चला और इस तथ्य के बावजूद नियमित आधार पर बड़ी रकम का भुगतान करता रहा कि ये संस्थाएं 2009 के बाद कोई महत्वपूर्ण सेवा नहीं दे रही थीं। इस प्रकार प्राप्त धनराशि का उपयोग नरेश गोयल और उनके परिवार द्वारा अपने निजी खर्चों और निवेशों के लिए किया गया।”

इससे पहले, वित्तीय जांच एजेंसी ने गोयल, जेआईएल के चार्टर्ड अकाउंटेंट और अन्य से जुड़े परिसरों पर तलाशी और सर्वेक्षण किया था।

ईडी ने गोयल को 1 सितंबर को गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने 31 अक्टूबर को विशेष अदालत (पीएमएलए) के समक्ष आरोपपत्र दाखिल किया था। इसका मामला केनरा बैंक, मुंबई द्वारा प्रस्तुत एक लिखित शिकायत के आधार पर सीबीआई, बीएस एंड एफबी, दिल्ली द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है, जिसमें अपराध का आरोप लगाया गया है। जेआईएल और उसके प्रमोटर और निदेशकों द्वारा धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्‍वासघात और आपराधिक कदाचार किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 538.62 करोड़ रुपये का भारी एनपीए हुआ।

–आईएएनएस

एसजीके

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