24 घंटे में 6 आत्महत्याओं से दहला यूपी का हाईटेक शहर नोएडा, मानसिक तनाव है मुख्य कारण

24 घंटे में 6 आत्महत्याओं से दहला यूपी का हाईटेक शहर नोएडा, मानसिक तनाव है मुख्य कारण

नोएडा, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। ग्रेटर नोएडा में गुरुवार 5 अक्टूबर को कारोबारी का शव जंगल में पेड़ से लटका मिला। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। बताया जा रहा है कि गृह क्लेश को लेकर कारोबारी परेशान था। उसी के चलते शायद उन्होंने यह कदम उठाया होगा।

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक जगवीर सिंह राठी (50 वर्ष) ने गामा वन के जंगल में पेड़ पर रस्सी से लटक कर फांसी लगा ली है। सूचना पर थाना बीटा 2 पुलिस द्वारा शव को कब्जे मे लेकर पंचायत नामा/पोस्टमार्टम की कार्रवाई की गई। मृतक जगबीर सिंह राठी प्लास्टिक पाइप ट्रेडिंग का काम करते थे।

पूछताछ में ज्ञात हुआ है कि राठी अपने घर से करीब 9 बजे सुबह बिना बताए निकले थे। प्रथम दृष्टया गृह क्लेश की बात भी सामने आ रही है। सभी बिंदुओं पर गहनता से जांच की जा रही है।

नोएडा में ये अकेला मामला जगबीर का नहीं है। अगर 5 अक्टूबर 2023 की बात करें तो इस दिन पूरे गौतमबुध नगर जिले में 6 लोगों ने मानसिक तनाव के चलते मौत को गले लगा लिया। मतलब 24 घंटे में छह लोगों ने अपनी जान दे दी, कुछ ऐसे भी मामले रहे होंगे जो रिपोर्ट ही नहीं हुए।

उत्तर प्रदेश का शो विंडो गौतमबुद्ध नगर में चकाचौंध कर देने वाली ऊंची ऊंची बिल्डिंग हैं। तेज रफ्तार से भागती गाड़ियां, मेट्रो और रफ्तार भरी जिंदगी में दौड़ते लोग आसानी से दिखाई दे जाएंगे। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस भीड़ का हिस्सा नहीं हैं। जो कहीं ना कहीं घर, परिवार, समाज, दफ्तर या फिर अपने मित्रों से मिले मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो चुके हैं और अपने दिल की बात किसी से भी नहीं बता पाते जिसके चलते उन्हें आत्महत्या करना ही सबसे आसान तरीका लगता है।

इसीलिए मेट्रो के आगे कूद कर सुसाइड करने का मामला हो, हाई राइज बिल्डिंग से छलांग लगाने का मामला हो या फिर खुद को रस्सी से लटकाने का मामला — इस हाईटेक शहर में लोग इन मामलों में अन्य जिलों को पछाड़ते दिखाई दे रहे हैं।

नोएडा में 24 घंटो में आत्महत्या के 6 मामलों में सबसे ज्यादा बड़ी वजह मानसिक तनाव देखने को मिली है। नोएडा जैसे रफ्तार वाले शहर और भागम भाग वाली जिंदगी में लोगों को अपनी बात दूसरों से बताने का मौका भी नहीं मिलता। घर, परिवार, नौकरी और समाज में मिले मानसिक प्रताड़ना से लोग खुद को इतना कमजोर और असहाय महसूस करते हैं कि वह खुद की जान लेने से भी गुरेज नहीं करते।

पुलिस कमिश्नरेट गौतम बुध नगर के मीडिया सेल से मिली जानकारी के मुताबिक राठी के बाद थाना बादलपुर क्षेत्र में रहने वाली शिवानी (22 वर्ष) ने मानसिक तनाव के चलते अपने घर पर पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर लिया। तीसरे मामले में थाना फेस-वन क्षेत्र में रहने वाली युवती ललिता (17 वर्ष) ने मानसिक तनाव के चलते अपने घर पर पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। चौथे मामले में थाना प्रभारी ने बताया कि थाना जारचा क्षेत्र में रहने वाले जितेंद्र उर्फ जीतू ने मानसिक तनाव के चलते अपने घर पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर लिया। पांचवे मामले में थाना सेक्टर 24 क्षेत्र के सेक्टर 54 के पास पेड़ की डाल से फंदा लगाकर एक अज्ञात व्यक्ति (20 वर्ष) ने मासिक तनाव के चलते आत्महत्या कर ली। छठे मामले में कासना क्षेत्र में रहने वाले सोनू (21 वर्ष) ने मानसिक तनाव के चलते जहरीला पदार्थ खा लिया।

आत्महत्या किए गए लोगों के शवों को कब्जे में लेकर उनका पोस्टमार्टम कराया जा रहा है और सभी के मौत के कारण जानने की कोशिश पुलिस कर रही है लेकिन अभी तक जो भी मामले खुलकर सामने आए हैं उनमें मानसिक रूप से परेशान लोगों ने ही इस कदम को उठाया है।

पांच अक्टूबर को कारोबारी का शव ग्रेटर नोएडा के एक जंगल में फंदे से लटका मिला। इसी दिन पूरे 24 घंटे में नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मिलाकर 6 लोगों के आत्महत्या का मामला दर्ज हुआ।

25 सितंबर को एक तलाकशुदा दंपति का शव उनके फ्लैट में मिला। दोनो ने आत्महत्या को थी। उनके पास से जहरीले दवाई की खाली बोतलें और सुसाइड नोट मिला।

19 सितंबर को एक युवती ने मेट्रो ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। इसमें युवती का एक हाथ कट गया।

12 सितंबर को मानसिक रूप से अस्वस्थ एक महिला ने हाई राइज सोसाइटी के 17 फ्लोर से कूदकर आत्महत्या कर ली।

नोएडा आईएमए के पूर्व अध्यक्ष और डॉक्टर एनके शर्मा ने आईएएनस को बताया है कि एकल परिवार और पाश्चात्य सभ्यता के चलते ही इस तरीके के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और खास तौर से युवा आत्महत्या के रास्ते को अपना रहे हैं।

उनका कहना है कि आजकल के युवा और बच्चों को समय से पहले सारी चीजें चाहिए। इसीलिए वह कई बार जब डिप्रेशन में या खराब स्थिति में आते हैं तो उसका जिक्र अपने आसपास मौजूद लोगों से नहीं कर पाते। परिवार वालों से दूरी होती है और दोस्त समझ नहीं पाते। इसीलिए ज्यादातर जो आत्महत्या क्या कर रहे हैं, उनमें युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। पढ़ाई से लेकर सोशल जिंदगी तक में कंपटीशन इतना बढ़ गया है कि एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ बच्चों को इस रास्ते पर ले जाने के लिए मजबूर करती है।

उन्होंने यह भी बताया कि पहले गांव में एक साथ एक परिवार जब रहता था और बच्चे और युवा जब बाहर निकलते थे तो उन्हें इस बात का डर रहता था कि कोई ना कोई उनका जानने वाला उन्हें मिल जाएगा। कोई गलत काम वह करेंगे तो वह नजर में आ जाएगा लेकिन अब ऐसा कोई नहीं है।

उनके मुताबिक अब जितने भी आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। उनमें एक चीज जरूर देखने को मिल रही है, वह है व्यक्ति का अकेलापन। आज जो भी तनावग्रस्त है या मानसिक रूप से परेशान है उसके आसपास उसकी देखभाल करने के लिए कोई भी मौजूद नहीं होता ना उससे उसके समस्या कोई जानता है और ना ही उसका कोई दिन और रात में हाल-चाल लेता है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एसकेपी

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