महिला और एससी वर्ग को भाजपा बना रही जातीय जनगणना की काट

महिला और एससी वर्ग को भाजपा बना रही जातीय जनगणना की काट

लखनऊ, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद भाजपा इसका तोड़ ढूंढने में जुटी है। इसके लिए पार्टी ने महिला आरक्षण और अनसूचित मोर्चे पर फोकस करना शुरू कर दिया है। पार्टी फिलहाल इन दोनों मुद्दों को जातीय जनगणना की काट के तौर पर देख रही है।

जानकारों के अनुसार, भाजपा फिलहाल जातीय जनगणना के मुद्दे पर खुल कर नहीं बोल रही है, लेकिन स्थानीय स्तर पर इसकी काट तलाशनी शुरू कर दी है। प्रदेश में पार्टी के नेताओं को केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय का इंतजार है। हालांकि, पार्टी महिला और एससी को जातीय जनगणना के खिलाफ अपने हथियार के रूप में ही प्रयोग करने का मन बना रही है।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े आने के बाद से पार्टी के लोग इसकी काट ढूढने में जुटे हैं। इसी कारण पार्टी की ओर से ओबीसी के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा यह भी बताने की कोशिश हो रही है कि पिछड़े वर्ग को सबसे ज्यादा भागीदारी देने वाली पार्टी भाजपा है।

प्रदेश में भाजपा गठबंधन के 274 में से 90 विधायक पिछड़ी जाति के हैं। इनमें से भाजपा के 86 विधायक हैं। एनडीए में पिछड़े वर्ग के 23 सांसद हैं, इनमें से 22 भाजपा से हैं। ऐसे में पिछड़ी जाति को नजरअंदाज करने की हिम्मत किसी भी दल में नहीं है।

उनका मानना है कि आगामी चुनावों के मद्देनजर अगर यह मुद्दा तूल पकड़ता है तो पार्टी के पास इसकी काट होगी, जिसकी तलाश जारी है। भाजपा की ओर से महिला मोर्चा और अनुसूचित जाति मोर्चा की बैठक में तय किया गया है कि महिला मोर्चा की ओर से 8 से 31 अक्तूबर के बीच प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं के सम्मेलन कराए जाएंगे।

नवंबर में अनुसूचित जातियों का बड़ा सम्मेलन कराने का निर्णय हुआ है। एससी मोर्चा की बैठक में अवध क्षेत्र के 15 संगठनात्मक जिलों नवंबर में सम्मेलन कराने का निर्णय हुआ है। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया ने बताया कि पश्चिम क्षेत्र का सम्मेलन 15 अक्तूबर, काशी का 27 अक्तूबर और अवध क्षेत्र का 2 नवंबर को सम्मेलन होगा।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष ने बिहार में जातीय जनगणना सर्वे के आंकड़े जारी करके भाजपा को असहज कर दिया है। भाजपा को इस मुद्दे की काट इसलिए ढूढनी जरूरी है क्योंकि यूपी बड़ा राज्य है, यहीं सबसे अधिक लोकसभा सीटें भी है। ऐसे में सभी दल की निगाहें इसी ओर लगी है। सर्वे में ओबीसी का मुद्दा बना कर विपक्ष बढ़त लेने की जुगत है। बदले में भाजपा एससी वर्ग और महिलाओं के बीच अधिक से अधिक जनाधार बनाकर जातीय जनगणना के मुद्दे की धार को कुंद करने के प्रयास में है।

–आईएएनएस

विकेटी/एसकेपी

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