नोएडा, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। एक अक्टूबर से दिल्ली एनसीआर में ग्रेप सिस्टम लागू होगा और चार चरणों में पाबंदियां लगाई जाएंगी। पहले डीजल जनरेटर चलाने पर पाबंदी लगाई गई थी, लेकिन अब पर्यटन मंत्रालय ने दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक सभी क्षमता और श्रेणियां के डीजल जनरेटर सेट को चलाने की अनुमति दे दी है।
ग्रेप के लागू करने से पहले अनुमति एक बार के अपवाद के रूप में दी गई है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कुछ शर्तों के साथ आपातकालीन सेवाओं के लिए यह फैसला लिया है। अब आपातकालीन सेवाएं एवं आवासीय सोसाइटी में इस्तेमाल किया जा रहे डीजे सेट के संचालकों को इस अवधि में प्रदूषण नियंत्रण की शर्तों के साथ इसे चलाने की अनुमति होगी।
वायु गुणवत्ता आयोग ने कहा है कि अगले साल 1 जनवरी से रिट्रोफिट और विशेष तौर पर वायु प्रदूषण को कम करने वाले डीजे सेट ही चल सकेंगे। हर साल दिल्ली समेत समूचे एनसीआर को अक्टूबर से दिसंबर तक वायु प्रदूषण की मार झेलनी पड़ती है और उसके लिए एक बड़ा कारण डीजी सेट भी होते हैं।
*किन किन को मिली है छूट*
आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह डीजी सेट विभिन्न आवासीय एवं वाणिज्य इमारत की लिफ्ट, एस्केलेटर, ट्रैवलेटर, चिकित्सीय सेवाओं, अस्पताल, नर्सिंग होम, स्वास्थ्य देखभाल सुविधा, जीवन रक्षक चिकित्सा उपकरणों और दवाओं के निर्माण में शामिल इकाइयों, रेलवे सेवाओं, रेलवे स्टेशन, ट्रेनों और स्टेशन समेत मेट्रो रेल और एमटीआरएस सेवाओं, हवाई अड्डा, अंतर राज्य बस टर्मिनल, गंदा पानी साफ करने वाले यंत्र, जल पंपिंग स्टेशन, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाएं, दूर संचार एवं आईटी डेटा सेवाएं और अन्य सूचीबद्ध आपातकालीन सेवाओं में डीजी सेट के इस्तेमाल में छूट रहेगी।
*गौतमबुद्ध नगर में बने हैं 7 हॉटस्पॉट और चार चरण में लागू होगा ग्रेप*
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से इस बार सात क्षेत्रों को हाट स्पाट की श्रेणी में रखा गया है। इनमें सड़क से उड़ने वाले धूल क्षेत्र में यमुना पुश्ता व पुश्ता रोड है। कंस्ट्रक्शन साइट के कारण उड़ने वाली धूल के कारण सेक्टर-115, सेक्टर-116, सेक्टर-150, दादरी रोड, नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे सेक्टर-125, एमिटी यूनिवर्सिटी व सेवन एक्स का इलाका अधिक प्रभावित होता है। वायु प्रदूषण की रोकथाम को जिले में एक अक्टूबर से ग्रेप लागू हो जाएगा। इस बार ग्रेप के तहत लगने वाली पाबंदियां पहले से ज्यादा सख्त होंगी।
वायु गुणवत्ता सूचकांक के 200 से ऊपर जाने पर पाबंदियां झेलनी पड़ेगी। पाबंदियों का पहला चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक 201 से 300 तक है। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस की ओर से अपनी समयावधि पूरी कर चुके डीजल और पेट्रोल वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। पाबंदियों का दूसरा चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक 301 से 400 तक है। चिह्नित हाट स्पाट पर प्रदूषण रोकने को अभियान चलाया जाएगा। पाबंदियों का तीसरा चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक 401 से 450 तक होगा। इस दौरान बीएस तीन मानकों वाले पेट्रोल और बीएस चार मानकों वाले डीजल चार पहिया वाहनों को प्रतिबंधित किया जाएगा। वहीं पाबंदियों का चौथा चरण वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 से ऊपर तक होगा। इस दौरान उन्हीं वाहनों को छूट मिलेगी जो एनसीआर से बाहर के पंजीकृत वाहन हैं।
इसके अलावा, इलेक्ट्रिक, सीएनजी या बीएस-6 मानक वाले हो को भी छूट मिलेगी।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी उत्सव शर्मा का कहना है कि ग्रेप के तहत वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़ने पर पाबंदियां चार चरणों में पिछले वर्ष की तरह ही लागू होंगी। ज्यादातर पाबंदियां पिछली बार की तरह ही हैं। दिल्ली स्थित गाजीपुर साइट के पास कूड़े के ढेर में लगने वाली आग के कारण भी सेक्टर-62 के इलाके में प्रदूषण बढ़ने की संभावना रहती है।
विभाग के मुताबिक इस बार यमुना में आई बाढ़ के कारण पुश्ता से सटे इलाकों में मिट्टी जमा है। जो प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए काफी है।
*डीजी सेट में मिली छूट से कहीं राहत तो कहीं दिक्कत*
1 अक्टूबर से ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू किया जा रहा है। इसमें 31 दिसंबर तक डीजे सेट पर लगने वाले प्रबंध में थोड़ी राहत दी गई है। हालांकि यह उद्यमियों और सोसाइटी निवासियों के लिए नाकाफी है। उद्यमियों को डीजी सेट में डुअल तकनीक से थोड़ी राहत देते हुए डीजल जेनरेटर चलने की अनुमति तो मिली है लेकिन यह राहत केवल एक श्रेणी को दी गई है। इसे 800 किलोवाट और उसके ऊपर के डीजे सेट पर लागू किया जाएगा जबकि 125 से 800 किलोवाट की डीजी सेट के लिए ड्यूल फ्यूल मोड होना जरूरी है। इसके अलावा पंजीकृत वेंडर्स माध्यम से इसके विकल्प की सुविधा दी जाएगी। वहीं 19 किलोवाट से 125 किलोवाट तक की डीजी सेट में अनिवार्य रूप से ड्यूल फ्यूल मोड होना जरूरी है।
–आईएएनएस
पीकेटी/एसकेपी