पटना, 23 अगस्त (आईएएनएस)। बिहार में शिक्षा विभाग ने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की आपत्ति के बावजूद मुजफ्फरपुर स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (बीआरएबीयू) के प्रभारी कुलपति और प्रो-वीसी का वेतन रोकने और उनके बैंक एकाउंट को फ्रीज करने के फैसले को वापस लेने से इनकार कर दिया है।
शिक्षा विभाग ने दावा किया है कि राज्य सरकार सभी विश्वविद्यालयों को 4,000 करोड़ रुपये की धनराशि का सहयोग देती है, और इसलिए विभाग को यह जानने के लिए विश्वविद्यालयों से जवाब मांगने का अधिकार है कि करदाताओं का पैसा कैसे और कहां खर्च किया जाता है।
इस संबंध में शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ प्रसाद के कार्यालय से 21 अगस्त को पत्र (पत्रांक 1785) जारी किया गया था।
राज्यपाल अर्लेकर ने विभाग द्वारा भुगतान रोकने का नोटिस जारी किए जाने के एक दिन बाद 18 अगस्त को बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (बीबीएबीयू) से संबंधित शिक्षा विभाग के मेमो नंबर 1741 को खारिज कर दिया था।
शिक्षा विभाग ने अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक के हस्ताक्षर से एक मेमो (नंबर 1741) जारी किया। पाठक ने 17 अगस्त को विश्वविद्यालय के बैंक खाते फ्रीज कर दिए।
पाठक के इस कदम के बाद राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंथु ने 24 घंटे के अंदर शिक्षा विभाग की अधिसूचना रद्द कर दी। राज्यपाल, जो राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं, उन्होंने महसूस किया कि शिक्षा विभाग का कदम राज्यपाल के अधिकारों का हनन है।
विश्वविद्यालय के मुजफ्फरपुर में एसबीआई, पीएनबी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में तीन खाते हैं। राजभवन की ओर से इस संबंध में संबंधित बैंकों के प्रबंधकों को लेनदेन की अनुमति देने के लिए अलग से पत्र भेजा गया है।
–आईएएनएस
एसजीके