वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में संत कबीर के 625वें जयंती वर्ष में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘संत कविता में मानव धर्मः कबीर से कीनाराम तक’ का आयोजन 09 जून शुक्रवार से होगा।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र में आयोजित संगोष्ठी में कबीर और रैदास के साथ कुछ महत्वपूर्ण संतों पलटूदास, शिवनारायण, गरीबदास, दयाबाई, सहजोबाई, मलूकदास से लेकर कीनाराम पर भी विस्तृत विचार विमर्श होगा। गुरुवार को यह जानकारी संगोष्ठी के आयोजक और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो.सदानंद शाही और सह संयोजक प्रो. श्रद्धा सिंह और प्रो. प्रभाकर सिंह ने दी।
उन्होंने बताया कि इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रो शंभुनाथ कोलकाता, प्रो. गोपेश्वर सिंह, रंजन सिंह, नयी दिल्ली, प्रो. सच्चिदानन्द मिश्र, प्रो. माधव हाड़ा, उदयपुर, प्रो. दलपत सिंह राजपुरोहित, टैक्सास अमेरिका, प्रो. संध्या सिंह, नेशनल यूनिवर्सिटी सिंगापुर, सरिता माली, कैलिफोर्निया, अमेरिका, प्रो. राजेश कुमार मल्ल एवं प्रो. दीपक त्यागी, गोरखपुर, प्रो. कृष्ण कुमार सिंह वर्धा सहित दो दर्जन से अधिक देश और विदेश के विद्वान शामिल हो रहे हैं। आमंत्रित वक्ता संत कवियों ने वैकल्पिक मानव धर्म की जो व्यवस्था दी है, उस पर विस्तार से विचार करेंगे और कबीर के अमर देस एवं संत रैदास के बेगमपुर पर चर्चा करते हुए विश्व मानवता के समक्ष खड़ी चुनौतियों का हल खोजने की कोशिश करेंगे। तकनीक और सूचना की आंधी में मनुष्य एक बार फिर खो सा गया है। हिंदी संत कविता के आलोक में उसका पुनराविष्कार करने की यह कोशिश हिन्दी विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का दायित्व और कर्तव्य भी है।