आरसेटी में दिखी महिला सशक्तिकरण और स्वरोजगार की सशक्त तस्वीर, केंद्र सरकार का जताया आभार

शहडोल, 22 दिसंबर (आईएएनएस)। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी), शहडोल में आरसेटी मेले का आयोजन किया गया। मेले का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं के अनुभवों के माध्यम से नई महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना रहा।
इसके साथ ही केंद्र सरकार की प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजनाओं, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं अटल पेंशन योजना से महिलाओं को जोड़ते हुए उनके खाते भी खोले गए।
केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक जिले के अग्रणी बैंकों के माध्यम से आरसेटी केंद्रों का संचालन किया जाता है। इन केंद्रों में ग्रामीण क्षेत्रों के युवक-युवतियों को निर्धारित मापदंडों के अनुसार निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है, ताकि वे स्वरोजगार के लिए सक्षम बन सकें। इसी क्रम में रविवार को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा आरसेटी केंद्र शहडोल में आरसेटी मेले का आयोजन किया गया।
मेले में संस्थान से प्रशिक्षित प्रशिक्षणार्थियों द्वारा तैयार किए गए विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई, वहीं उत्पादों की बिक्री भी की गई। मेले में पहुंचे आगंतुकों को तकनीकी जानकारी, कृषि आधारित नवाचारों तथा स्वरोजगार से जुड़े विभिन्न अवसरों की जानकारी विस्तार से दी गई। कार्यक्रम के दौरान बैंक सखियों द्वारा आमजन के बचत खाते खोले गए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं अटल पेंशन योजना से जुड़ने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई।
इस अवसर पर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी महिलाओं ने आरसेटी से जुड़कर स्वरोजगार की दिशा में बढ़ाए गए सशक्त कदम के लिए केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। वहीं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही युवतियों ने ब्यूटी पार्लर जैसे निःशुल्क प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा और भविष्य में स्वरोजगार के नए रास्ते खुलेंगे।
मेले को लेकर एलडीएम अमित चौरसिया ने बताया कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की 115वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में देशभर में बैंक के अधीन आरसेटी परिसरों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में शहडोल में भी आरसेटी मेले का आयोजन किया गया, जिसमें प्रशिक्षण प्राप्त महिलाओं द्वारा अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत अब तक लगभग 20 से 25 खाते खोले जा चुके हैं।
एलडीएम के अनुसार इन योजनाओं में बीमा प्रीमियम अत्यंत कम है और ये योजनाएं जरूरतमंद परिवारों के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती हैं। परिवार के मुखिया के असमय निधन की स्थिति में ये योजनाएं परिजनों को आर्थिक संबल प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को इन योजनाओं से जोड़ना बैंक की प्राथमिकता है।
आरसेटी केंद्र, शहडोल, प्रशिक्षित बैंक सखी सुमन कुशवाहा ने कहा कि मैंने बैंक सखी का प्रशिक्षण लिया है। मुझे अपने पड़ोसी से जानकारी मिली थी। मैं अब एक केंद्र चलाती हूं। जब मुझे इसके बारे में जानकारी मिली तो मैंने परीक्षा दी और फिर आईडी मिली और अब काम शुरू कर दिया है। मेरी आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है। बच्चों की पढ़ाई और पति की भी मदद करती हूं। यह सरकार की अच्छी योजना है। हर महिला को इससे जुड़ना चाहिए। केंद्र सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद।
प्रशिक्षित कृषि उद्यमी जनक नंदिनी द्विवेदी ने कहा कि मैं ऐसे गांव की रहने वाली हूं, जहां आज भी बस की सुविधा नहीं है। दस किमी पैदल चलकर बस पकड़ने के लिए आना पड़ता है। पहले मेरी स्थिति बहुत दयनीय थी। इसके बाद मैं आजीविका मिशन स्वयं सहायता समूह से जुड़ी। मुझे दस दिन की ट्रेनिंग मिली और फिर गांव की समूह की महिलाओं के साथ काम किया।
उन्होंने बताया कि मैं जैविक खेती के लिए दवाई बनाती थी। मेरा काम अच्छा हुआ तो मुझे जिला स्तर पर ट्रेनिंग देने का मौका मिला। उससे थोड़ी आय होने लगी तो मैंने स्कूटी खरीदी। इसके बाद मैं आसपास के गांव के किसानों के साथ काम करने लगी, और मेरी आय बढ़ी तो मैंने आटा चक्की लगवाई। इसके बाद मैंने लैपटॉप खरीदा और फिर आरसेटी कैम्प में ट्रेनर बन गई। आरसेटी के माध्यम से आज मेरी पहचान बन गई।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह के बाद अधिकतर लड़कियां दोबारा खड़ी नहीं हो पाती हैं। अब मैं आत्मनिर्भर हूं। महिलाओं के लिए ये योजना बहुत अच्छी है।
प्रशिक्षित कृषि उद्यमी सविता बर्मन ने बताया कि मैं संतोषी सहायता समूह से जुड़ी हुई हूं। मेरी पहले स्थिति बहुत खराब थी। मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मुझे दस दिन की ट्रेनिंग मिली। इसके बाद मैंने गांव-गांव जाकर ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। आज मेरी स्थिति सुधर गई है। मेरी अपनी गाड़ी है, अपने पति की भी मदद करती हूं। मैं आज आत्मनिर्भर हो गई हूं।
प्रशिक्षित कृषि उद्यमी अंजू अहिरवार ने कहा कि मेरी स्थिति ठीक नहीं थी। इसी दौरान मुझे समूह के बारे में जानकारी मिली और इससे जुड़ गई। मुझे कई तरह की जानकारी मिली और फिर आरसेटी में ट्रेनिंग लेने का अवसर मिला। यहां मुझे सब्ज़ी के उत्पादन के बारे में जानकारी मिली। खाद बनाने की भी ट्रेनिंग मिली। आज मैं सीआरपी ट्रेनर हूं।
उन्होंने बताया कि मैं घर पर भी खाद बनाती हूं, किसान वहां से खरीदते हैं। वे भी इससे लाभान्वित हैं। अब मेरी स्थिति में काफी सुधार है। अन्य महिलाओं को भी मैं इस योजना से जुड़ने की अपील करती हूं।
प्रशिक्षण प्राप्तकर्ता आरती वर्मन ने बताया कि आरसेटी ट्रेनिंग के बारे में मुझे जानकारी मिली। मेरे पास कोई काम नहीं था और मुझे जरूरत थी, तो मैं निशुल्क सीखने के लिए आ गई। ट्रेनिंग लेने के बाद मैं अपना काम शुरू करूंगी। सरकार का इस तरह की योजनाओं को चलाने के लिए धन्यवाद।
अनामिका यादव ने कहा कि आरसेटी के बारे में जानकारी मिली थी। आजीविका की दीदियों ने भी इसके बारे में बताया। मैंने ट्रेनिंग जॉइन कर ली। ट्रेनिंग 35 दिनों की होती है और फ्री है। सरकार ने अच्छी योजना शुरू की है। हम बड़े-बड़े पार्लरों में जाकर ट्रेनिंग नहीं ले पाते हैं, लेकिन इस योजना से हम आसानी से सीख सकते हैं।
उदिची मिश्रा का कहना है कि सोशल मीडिया के जरिए मुझे इस ट्रेनिंग के बारे में जानकारी मिली थी। मैंने फॉर्म भरा और मेरा चयन हो गया। यहां मुझे 35 दिन की निशुल्क ट्रेनिंग के बारे में जानकारी मिली। इस कोर्स के लिए खर्च करने की ताकत नहीं थी, दूसरी बात कि हम घर से निकलकर दूर जाकर ट्रेनिंग नहीं ले सकते थे। सरकार की इस योजना का मुझे लाभ मिल रहा है।
नैना बैस ने बताया कि मुझे गांव की सीआरपी दीदी से पता चला कि पार्लर के लिए फ्री में ट्रेनिंग दी जा रही है। मेरा रजिस्ट्रेशन हुआ और मेरा चयन हो गया। केंद्र सरकार को धन्यवाद कि मुझे सिखाने और आगे बढ़ने में मदद की।
संजना मेहरा ने कहा कि मैंने आरसेटी में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया। मैं ब्यूटी पार्लर कोर्स कर रही हूं। इसके बाद मुझे अपना स्वरोजगार खोलने का अवसर मिलेगा। केंद्र सरकार को धन्यवाद कि उनकी योजनाओं से हमें फ्री में सीखने को मिल रहा है।
–आईएएनएस
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