केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को फास्फेट और पोटाश (पी एंड के) उर्वरकों के लिए 38 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी प्रदान कर दी। इस तरह किसानों को चालू खरीफ मौसम में सस्ती दरों पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए कुल उर्वरक सब्सिडी बढ़कर 1.08 लाख करोड़ रुपये हो गई है। इसमें केंद्रीय बजट 2023-24 में यूरिया पर घोषित 70 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी शामिल है।
उर्वरकों की एमआरपी में नहीं होगा कोई परिवर्तन
केंद्र सरकार ने 38 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की घोषणा करते हुए यह भी कहा कि उर्वरकों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कोई परिवर्तन नहीं होगा। खरीफ मौसम अप्रैल से सितंबर तक होता है। पिछले कुछ महीनों में वैश्विक कीमतों में कमी की वजह से जारी खरीफ मौसम में पोटाश और फास्फेट उर्वरकों पर सरकार पर सब्सिडी का बोझ घटा है। 2023-24 के पूरे वित्त वर्ष के दौरान उर्वरकों पर खर्च 2.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।
मीडिया से बातचीत में उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि कैबिनेट ने खरीफ मौसम में फास्फेट और पोटाश उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) दरों को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने नाइट्रोजन (एन) के लिए 76 रुपये प्रति किलोग्राम, फास्फोरस (पी) के लिए 41 रुपये प्रति किलोग्राम, पोटाश (के) के लिए 15 रुपये प्रति किलोग्राम और सल्फर (एस) के लिए 2.8 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी को मंजूरी प्रदान की है।
पिछले तीन महीनों में एनपीके के मूल्यों में आई गिरावट
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सब्सिडी को घटाया गया है, क्योंकि पिछले तीन महीनों में एनपीके के मूल्यों में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) की कीमतें 925 डालर प्रति टन से गिरकर 530 डालर प्रति टन रह गई हैं। वर्ष 2022-23 में अक्टूबर से मार्च की अवधि में सरकार ने नाइट्रोजन (एन) के लिए 98.02 रुपये प्रति किलोग्राम, फास्फोरस (पी) के लिए 66.93 रुपये प्रति किलोग्राम, पोटाश (के) के लिए 23.65 रुपये प्रति किलोग्राम और सल्फर (एस) के लिए 6.12 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी निर्धारित की थी।
मिस्त्र के प्रतिस्पर्धा प्राधिकरण के साथ समझौते को स्वीकृति
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और मिस्त्र के प्रतिस्पर्धा प्राधिकरण (ईसीए) के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर को स्वीकृति प्रदान कर दी। दोनों नियामकों के बीच एमओयू का उद्देश्य सूचना के आदान-प्रदान, सर्वोत्तम चलन को साझा करने के साथ-साथ विभिन्न क्षमता निर्माण पहलों के माध्यम से प्रतिस्पर्धा कानून और नीति में सहयोग को बढ़ावा देना व मजबूत करना है।