भारत में रोजगार बढ़ाने के लिए कौशल प्रशिक्षण और छोटे उद्योग सबसे जरूरी : एनसीएईआर

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस)। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ज्यादा रोजगार पैदा करने के लिए दो बातें सबसे जरूरी हैं, जिसमें लोगों को अच्छे कौशल (स्किल) देना और छोटे उद्योगों की क्षमता बढ़ाना शामिल है।
यह रिपोर्ट प्रोफेसर फरजाना अफरीदी और उनकी टीम ने तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने कामकाजी लोगों की संख्या और उनकी गुणवत्ता दोनों बढ़ाने की जरूरत है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अभी रोजगार बढ़ने का मुख्य कारण स्व-रोजगार में वृद्धि है, जबकि कुशल कामगारों की संख्या काफी धीमी गति से बढ़ रही है। वहीं अगर भारत कपड़ा, जूते, खाद्य प्रसंस्करण जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों और सेवा क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाए तो देश की जीडीपी लगभग 8 प्रतिशत की स्थिर गति से बढ़ सकती है, जो ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
एनसीएईआर के वाइस चेयरमैन मनीष सभरवाल ने कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। हालांकि इसकी प्रति व्यक्ति आय अभी 128वें स्थान पर है, लेकिन यह भारत के लिए रोजगार बढ़ाने और सभी लोगों को साथ लेकर चलने का बड़ा अवसर है।
प्रोफेसर अफरीदी ने बताया कि भारत में लोग ज्यादातर खुद का काम इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पास कम विकल्प होते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे छोटे किसान कम साधनों में काम करते हैं, वैसे ही छोटे उद्योग भी बहुत कम पूंजी, कम तकनीक और कम उत्पादकता के साथ काम करते हैं। इसलिए भारत को छोटे उद्योगों की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि भविष्य में रोजगार इन्हीं से सबसे ज्यादा मिलेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया कि नई तकनीक और एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के आने से भारत के कामगारों को नए कौशल सिखाने की जरूरत और भी बढ़ गई है। यदि भारत में कुशल कामगारों की संख्या 12 प्रतिशत बढ़ाई जाए, तो 2030 तक रोजगार में 13 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कुशल कामगारों की संख्या 9 प्रतिशत बढ़ती है, तो 2030 तक करीब 93 लाख नई नौकरियां मिल सकती हैं। इसके अलावा कपड़ा, जूते, और खाद्य प्रसंस्करण जैसे उद्योगों को बढ़ावा देने और पर्यटन, शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसी सेवाओं को मजबूत करने से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
— आईएएनएस
दुर्गेश बहादुर/एबीएस