पुणे में 95 वर्ष की आयु में डॉ. बाबा अधव का निधन, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि


नई दिल्ली, 8 दिसंबर (आईएएनएस)। पुणे में जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता एवं एक्टिविस्ट डॉ. बाबासाहेब पांडुरंग अधव उर्फ बाबा अधव का सोमवार की रात को निधन हो गया। 95 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। डॉ. बाबा अधव ने अपना पूरा जीवन पिछड़े वर्गों, दलितों, आदिवासियों और मजदूरों के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया था। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “बाबा अधव को अलग-अलग कामों से समाज की सेवा करने की उनकी कोशिशों के लिए याद किया जाएगा, खासकर पिछड़े लोगों को मजबूत बनाने और मजदूरों की भलाई के लिए काम करने के लिए। उनके गुजर जाने से दुख हुआ। मेरी दुआएं उनके परिवार और चाहने वालों के साथ हैं। ओम शांति।”

बाबा अधव छह दशकों से ज्यादा समय से पिछड़े मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए जाने जाते थे, उनके परिवार में उनके दो बेटे, असीम और अंबर हैं। सहयोगी नितिन पवार के मुताबिक, अधव की हालत अचानक बिगड़ने के बाद लगभग दो हफ्ते से एक प्राइवेट हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। एडवांस मेडिकल सपोर्ट पर रखे जाने के बावजूद, रात करीब 8.25 बजे कार्डियक अरेस्ट आने से उनकी मौत हो गई।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक्स ‘पोस्ट’ में लिखा, “वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता बाबा अधव के निधन की खबर बहुत दुखद है। उन्होंने लगातार वंचित और असंगठित तबके के लोगों के हक के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने उनके लिए सहारा बनकर काम किया। उन्होंने कुली, रिक्शा चालक, कंस्ट्रक्शन वर्कर को इंसाफ दिलाने के लिए एक संगठन बनाया। उन्होंने कुली पंचायत, एक गांव-एक पानी की टंकी जैसी कई पहल कीं। सामाजिक बुराइयों के खिलाफ उनकी लड़ाई हमेशा याद रखी जाएगी। महाराष्ट्र में हमेशा से सामाजिक कार्यकर्ता की एक महान परंपरा रही है। उस परंपरा की एक अहम शख्सियत आज हमसे दूर हो गई।”

सीएम फडणवीस ने आगे लिखा, “उन्हें हमेशा याद किया जाएगा, उनके विचार आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे। मैं उन्हें दिल से श्रद्धांजलि देता हूं। हम उनके रिश्तेदारों और फैंस के दुख में शामिल हैं।”

डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, “महाराष्ट्र के सामाजिक और मजदूर आंदोलन के एक स्तंभ, वंचितों और हाशिए पर पड़े लोगों को न्याय दिलाने के लिए अपनी जिंदगी समर्पित करने वाले एक अनुभवी सामाजिक कार्यकर्ता, सत्य की खोज करने वाली विचारधारा के एक निष्ठावान अनुयायी और मजदूर वर्ग के नेता डॉ. बाबा अधव के दुखद निधन से महाराष्ट्र के सामाजिक समानता आंदोलन को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। हमाल पंचायत के जरिए उन्होंने न सिर्फ राज्य के हमालों और मजदूरों को संगठित किया, बल्कि उन्हें आत्म-सम्मान का एहसास भी दिलाया।”

उन्होंने आगे लिखा, “जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने ‘एक गांव एक पनवाथा’ क्रांतिकारी आंदोलन का नेतृत्व किया और समाज में समानता स्थापित करने की कोशिश की। नब्बे पार करने के बाद भी उनकी याद महाराष्ट्र के लोगों के मन में डॉ. बाबा अधव के काम के रूप में रहेगी, जिन्होंने अपनी आखिरी सांस तक सामाजिक न्याय और मजदूर वर्ग के अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से आवाज उठाई। भावभीनी श्रद्धांजलि।”

–आईएएनएस

पीएसके/डीकेपी


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