'मिलियन डॉलर क्वार्टेट': 4 दिसंबर 1956 का वह जादुई दिन जब हॉलीवुड और अमेरिकी संगीत इतिहास बदल गया


नई दिल्ली, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। अमेरिका के टेनेसी राज्य की एक साधारण-सी तारीख थी 4 दिसंबर 1956, लेकिन मेम्फिस स्थित ‘सन रिकॉर्ड्स स्टूडियो’ के भीतर कुछ असाधारण घट रहा था। एक ऐसी औचक मुलाकात, जिसे आज अमेरिकन रॉक-एन-रोल इतिहास का सबसे बड़ा संयोग कहा जाता है।

इस दिन एक ही कमरे में बैठे थे चार ऐसे कलाकार, जिनके नाम आगे चलकर लाखों रिकॉर्ड, अनगिनत पुरस्कार और दुनिया भर का प्रशंसक समूह बनाने वाले थे! ये सितारे एल्विस प्रेस्ली, जॉनी कैश, जेरी ली लुईस और कार्ल पर्किन्स थे। बाद में इन्हें एक साथ याद करते हुए “मिलियन डॉलर क्वार्टेट” का नाम दिया गया।

यह सत्र किसी प्लानिंग का हिस्सा नहीं था। कार्ल पर्किन्स उस दिन स्टूडियो में अपना नया गाना रिकॉर्ड कर रहे थे, और साथ में युवा, उभरता हुआ पियानो प्रतिभा जेरी ली लुईस भी मौजूद था। ठीक उसी समय, अचानक एल्विस प्रेस्ली (जो तब तक राष्ट्रीय सनसनी बन चुके थे) स्टूडियो में आ गए। थोड़ी देर बाद जॉनी कैश भी उनसे मिलने पहुंच गए। किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये चारों एक साथ घंटों तक गाएंगे, हंसेंगे, एक-दूसरे की धुन को अपने तरीके से पेश करेंगे, और ऐसे गीत छेड़ेंगे, जिनमें भविष्य के रॉक, गॉस्पेल, और कंट्री संगीत की झलकें थीं।

इस “जैम-सेशन” की सबसे दिलचस्प बात यह है कि इसे आधिकारिक रिकॉर्डिंग नहीं माना गया था। इंजीनियर जैक क्लेमेंट ने यह सत्र अपने मन से रिकॉर्ड कर लिया और बाद में उसी रिकॉर्डिंग ने संगीत प्रेमियों के बीच इसे किंवदंती बना दिया। एल्विस की नेचुरल आवाज, पर्किन्स की तेज गिटार स्ट्रमिंग, लुईस की बिजली-सी फिसलती पियानो शैली, और कैश की गहरी, गूंजती बारिटोन यह सब मिलकर एक ऐसा माहौल रचते हैं जिसमें चारों कलाकार प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि एक साझा जुनून के साथी लगते हैं।

उस दिन ली गई तस्वीर—चारों कलाकारों का एक ही पियानो के आसपास बैठे मुस्कुराता हुआ दृश्य, आज भी संगीत इतिहास की सबसे प्रतिष्ठित तस्वीरों में से एक मानी जाती है। अखबार मेम्फिस प्रेस-सिमिटर ने इस फोटो को छापा और पहली बार उन्हें नाम दिया, ‘मिलियन डॉलर क्वार्टेट,’ मानो ये चौकड़ी साथ मिलकर करोड़ों डॉलर की कला और प्रभाव पैदा करने जा रहे हों। और सच यही था।

वर्षों बाद जब यह पूरा सत्र जारी किया गया, संगीत विशेषज्ञों ने पाया कि यह सिर्फ चार सितारों का अनौपचारिक गाना-सुनाना नहीं था; यह अमेरिकी संगीत विधाओं—कंट्री, ब्लूज, गॉस्पेल और रॉक के संगम का जीवित प्रमाण था। रॉक-एन-रोल किस दिशा में बढ़ेगा, उसकी धड़कन इस कमरे में दर्ज हो रही थी। संगीत के इतिहासकार इसे ‘अनियोजित जादू’ कहते हैं—एक ऐसा पल जो न दोहराया जा सकता था और न ही सोचा गया था।

4 दिसंबर 1956 केवल एक दिन नहीं था—यह वह क्षण था जब चार आवाजों ने मिलकर इतिहास को एक नया लयबद्ध मोड़ दिया।

–आईएएनएस

केआर/


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