अपने पड़ोसी देश में चल रही राजनीतिक उठापटक पर भारत की पैनी नजर…

अपने पड़ोसी देश में चल रही राजनीतिक उठापटक पर भारत की पैनी नजर…

भारत और पाकिस्तान की अकसर तुलना होती है। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान का जन्म ही भारत विभाजन से हुआ था। ऐसे में अंग्रेजों से आजादी के 75 सालों बाद दोनों देश कहां खड़े हैं, इसकी चर्चा होती ही है। इसके बारे में जब भी बात होती है तो पहला जिक्र दोनों देशों में सत्ता हस्तांतरण के तरीके और सेना की ताकत की चर्चा जरूर होती है। इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान में आज तक कोई भी राष्ट्राध्यक्ष अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। करनाल में जन्मे पहले पीएम लियाकत अली खान से लेकर आज तक ज्यादा राष्ट्राध्यक्ष मारे गए, फांसी हुई या फिर उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा।

हाल ही में परवेज मुशर्रफ की देश से बाहर हुई मौत और नवाज शरीफ का अब तक लंदन में ही रहना इसका उदाहरण है। पाकिस्तान में अब तक सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण ढंग से नहीं हुआ है। इसकी वजह सेना को माना जाता है, जो भले ही सीधे तौर पर शासन नहीं करती, लेकिन पर्दे के पीछे से बागडोर अपने पास रखती है। कई बार तो जिया उल हक और परवेज मुशर्रफ जैसे सैन्य शासकों ने सीधे तौर पर राज भी किया। कहा जाता है कि इमरान खान के उदय से लेकर गिरफ्तारी तक की कहानी भी सेना ने ही लिखी थी।

1992 की विश्व विजेता क्रिकेट टीम के कप्तान रहे इमरान खान ने 1996 में पीटीआई का गठन किया था। उसके बाद वह खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब जैसे राज्यों में पकड़ बनाते चले गए। एक दौर में उन्हें सेना का लाडला माना गया था और 2018 में जब वह पीएम बने तो इसके पीछे भी सेना का ही प्लान था, जो नवाज शरीफ से तंग थी। कहा जाता है कि उसी सेना की शह पर इमरान खान ने नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ, आसिफ अली जरदारी समेत कई नेताओं को जेल में डाल दिया था।

कभी थे लाडले, फिर कैसे इमरान खान की सेना से बिगड़ी 

फिर सवाल यह है कि इमरान खान की सेना से क्यों बिगड़ी? इसकी वजह यह थी कि इमरान खान को लगता था कि वह अब लोकप्रिय नेता हैं और उन्हें अपने मुताबिक नियुक्तियां करनी चाहिए। ऐसा पहला संघर्ष तब हुआ, जब सेना ने 2021 में आईएसआई के नए डीजी के तौर पर लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम का नाम तय किया। लेकिन इमरान खान चाहते थे कि उनके करीबी लेफ्टिनेंट जनरल हमीद को सेवा विस्तार दिया जाए। यहीं से सेना और इमरान में तनाव बढ़ता चला गया। महीनों मनमुटाव के बाद नदीम अंजुम की नियुक्ति हुई थी और फिर कमर जावेद बाजवा के सेवा विस्तार पर संघर्ष छिड़ गया।

कॉलर पकड़कर क्यों घसीट ले गई इमरान खान

इसी संघर्ष के बीच इमरान खान को 2022 में सत्ता से ही बेदखल कर दिया गया। पीपीपी के आसिफ अली जरदारी और पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ साथ आए और नई सरकार बन गई। माना गया कि इसके पीछे सेना ही है। फिर इमरान खान लगातार सेना पर ही सीधे हमले बोलने लगे और अंत में उन्हें गिरफ्तार भी पाकिस्तानी रेंजर्स ने ही किया, जो सेना की ही एक यूनिट है। इमरान खान को जिस तरह से कॉलर पकड़कर और धक्के मारकर गाड़ी में बिठाया गया। उससे भी साफ था कि इमरान खान की गिरफ्तारी के साथ ही उनका इकबाल खत्म करना भी एक मकसद था।

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