लखनऊ। लखनऊ की प्रसिद्ध गोपेश्वर गौशाला और लक्ष्मण गौशाला में गौमूत्र से गौ अर्क बनाया जा रहा है। जिसमें गोपेश्वर गौशाला में बने गौ अर्क बेहद पसंद की जा रही है। गौशालाओं में बना गौ-अर्क 450 मिली लीटर के शीशी में 60 रूपये की दर से अब बाजार तक पहुंच चुका है।
राजधानी लखनऊ के इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे के निकट लक्ष्मण गौशाला स्थित है। यहां पर गोबर व गौमूत्र से विभिन्न प्रकार की सामग्री बनाने के प्रशिक्षण भी दिए जाते हैं। दूध से बनने वाली खाद्य सामग्री भी यहां बनायी जाती है, जिसमें दूध से बनने वाले पेड़ा यहां का बेहद मशहूर है। लक्ष्मण गौशाला की तरह ही मलिहाबाद क्षेत्र में स्थित गोपेश्वर गौशाला में भी गोबर और गौमूत्र आधारित वस्तुओं के निर्माण किया जाता है। जिसमें गाय के गौमूत्र से बनने वाले गौ अर्क के निर्माण कार्य में तेजी आयी है।
गोपेश्वर गौशाला में बनने वाले गौ अर्क को बेहद पसंद किया जा रहा है। लक्ष्मण गौशाला के सामने गौ उत्पाद की दुकान पर गोपेश्वर गौशाला में बने गौ अर्क की शीशी उपलब्ध है। इस गौशाला के विक्रय केन्द्र पर कार्यरत शुभकरण ने बताया कि माह में औसतन 50 से 60 शीशी गौ—अर्क की बिक जाती है। गौ अर्क से कैंसर जैसे रोग को भी रोका जा सकता है।
उन्होंने बताया कि पेट से संबंधित तमाम बीमारियों को ठीक करने में गौ अर्क बेहद कारगर है। गौ अर्क के उपयोग करके हम मधुमेह और रक्तचाप जैसी बीमारियों से भी मुक्ति पा सकते हैं। देशी गाय के गौमूत्र से बनने वाले गौ अर्क को अभी 450 मिली लीटर के शीशी में बाजार में उतारा गया है। आने वाले वक्त में एक लीटर की शीशी में भी इसे लाने की योजना है।
गोपेश्वर गौशाला में गौ अर्क के कार्य में प्रशिक्षित गौसेवकों का एक बड़ा समूह प्रतिदिन कार्य कर रहा है। समूह के गौसेवकों के अनुसार गौ अर्क के सेवन के लिए तय मानक है। इसे एक ढक्कन से दो ढक्कन तक ही लेना चाहिए। खाली पेट गौ अर्क का सेवन अति उत्तम माना जाता है, वहीं चिकित्सकीय सलाह पर भोजन पश्चात भी लेते हैं।
लखनऊ के बाजार में विविध प्रकार के गौ अर्क उपलब्ध है। जिसमें स्थानीय गौशालाओं में बने गौ अर्क की बिक्री के लिए एक माहौल बनया गया है। जिसमें गौसेवा गतिविधि से जुड़े गौसेवकों की मदद भी ली जा रही है।