'मैं वापस आऊंगा' : रेशमी आवाज के मालिक 'मर्द तांगे वाला', जो हर दिल के थे अजीज


मुंबई, 26 नवंबर (आईएएनएस)। हर साल 27 नवंबर आता है, तो सात साल पहले इसी दिन की दुखद घटना की याद दिला जाता है। इस दिन फिल्म इंडस्ट्री ने अपनी उस मखमली आवाज को हमेशा के लिए खो दिया था, जिसके बिना 90 के दशक के गानों को अधूरा कहा जा सकता है।

मोहम्मद अजीज को गुजरे सात साल हो गए, मगर वो खालीपन आज भी उतना ही है। 27 नवंबर 2018 को बॉलीवुड ने अपनी सबसे प्यारी, सबसे रेशमी आवाज को हमेशा के लिए खो दिया था।

पश्चिम बंगाल के अशोकनगर में 2 जुलाई 1954 को जन्मे अजीज ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी आवाज लाखों दिलों की धड़कन बनेगी। घर में उर्दू-बांग्ला शायरी का माहौल था, मां की दुआएं थीं और कोलकाता की गलियों में गुनगुनाते उनकी गायकी के शौक थे, जो कोलकाता से मुंबई तक ले आए। स्कूल के दिनों से उन्हें गुनगुनाने का शौक था।

उनकी आवाज न बहुत भारी थी, न पतली बस इतनी कि सुनते ही आंखें बंद हो जाए और दिल चुपके से कहे, ”हां, बस यही चाहिए था।”

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने इस जादू को सबसे पहले पहचाना और साल 1983 में ‘इंसाफ कौन करेगा’ से शुरुआत हुई, लेकिन 1987 में ‘चालबाज’ का ‘तेरा बीमार मेरा दिल’ आया तो पूरी इंडस्ट्री उनकी मुरीद हो गई।

इसके बाद आया ‘खुदा गवाह’ का ‘तू ना जा मेरे बादशाह’, जो अमिताभ पर भी खूब फबा। फिर, ‘खुदगर्ज’ का ‘आपके आ जाने से’ आया। कुमार सानू के साथ वो ड्यूट बना जो आज भी हर शादी में बजता है। ऐसे ही न जाने कितने गानों के जरिए उन्होंने अपनी प्रतिभा को साबित किया और श्रोताओं के दिलों में खास जगह बनाने में सफल रहे। ‘राम लखन’ का ‘मेरे दो अनमोल रतन’ को भला कैसे इग्नोर किया जा सकता है।

मोहम्मद अजीज को ‘मर्द’ के ‘मैं हूं मर्द तांगे वाला’ गाने से खूब लोकप्रियता मिली। इसके बाद, उन्होंने ‘लाल दुपट्टा मलमल का’, ‘मैं से मीना से न साकी से’ जैसे कई सफल गानों को अपनी आवाज दी।

अजीज का मानना था कि जिस खूबसूरत आवाज के वो मालिक थे, उसके पीछे मां की दुआएं थीं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “लोग पूछते हैं कि आवाज इतनी मीठी कैसे? मैं बोलता हूं, मां की दुआएं और कोलकाता की मछली!”

संगीत की दुनिया को गुलजार करने वाले गायक के प्रशंसकों के लिए 27 नवंबर 2018 का दिन काले अध्याय की तरह था। कोलकाता से स्टेज शो करके मुंबई लौटे थे। एयरपोर्ट से घर जाते वक्त अचानक सीने में तेज दर्द हुआ। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते सब खत्म। महज 64 साल की उम्र में वो अधूरा राग हमेशा के लिए थम गया।

उनके जाने के बाद अनु मलिक ने कहा था, ”मोहम्मद अजीज की आवाज में वो रूहानी सुकून था जो आज की टेक्नोलॉजी भी नहीं ला सकती।”

–आईएएनएस

एमटी/एबीएम


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