संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर बीकेयू का प्रदर्शन, किसानों की मांगों को लेकर जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

ग्रेटर नोएडा, 26 नवंबर (आईएएनएस)। किसानों की लंबित मांगों और कृषि संबंधी मुद्दों के समाधान की दिशा में सरकार के प्रति नाराजगी और असंतोष एक बार फिर खुलकर सामने आया। संयुक्त मोर्चे के आह्वान पर भारतीय किसान यूनियन द्वारा ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर कलेक्टर कार्यालय पर विशाल धरना प्रदर्शन किया गया।
इस विरोध प्रदर्शन की अध्यक्षता अजीत अधाना ने की, जबकि संचालन की जिम्मेदारी जिला अध्यक्ष रॉबिन नागर के हाथों में रही। सुबह से ही विभिन्न क्षेत्रों के सैकड़ों किसान हाथों में झंडे और मांगों से संबंधित पोस्टर लिए कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचे और एकजुटता के साथ अपनी आवाज बुलंद की।
धरने को संबोधित करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना ने कहा कि किसानों को न्याय दिलाने के लिए भारत में वर्षों से आंदोलन जारी है, लेकिन सरकार आज भी किसानों की समस्याओं के प्रति उदासीन रवैया अपनाए हुए है।
उन्होंने याद दिलाया कि पांच वर्ष पहले कृषि से जुड़े काले कानूनों के खिलाफ संपूर्ण भारत में संयुक्त मोर्चे के नेतृत्व में ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था। उस आंदोलन के दबाव के बाद सरकार को मजबूर होकर कानून वापस लेने पड़े थे और किसानों से वादा किया गया था कि एमएसपी को कानूनी गारंटी दी जाएगी। लेकिन, पवन खटाना के अनुसार, न तो एमएसपी पर कानून लागू किया गया, न ही किसानों की मांगों पर कोई ठोस कदम उठाया गया और न ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को आज तक लागू किया गया है।
उन्होंने कहा कि किसान अभी भी कर्ज, लागत मूल्य में बढ़ोत्तरी, मौसम संकट और फसल के उचित दाम न मिलने की समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन सरकार केवल आश्वासन देकर पीछे हट जाती है। धरने के दौरान किसान नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सरकार की नीतियों के प्रति रोष व्यक्त करते हुए ‘किसान विरोधी नीतियां बंद करो’, ‘एमएसपी की कानूनी गारंटी लागू करो’, ‘स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट तुरंत लागू करो’ जैसे नारे लगाए।
आंदोलन के अंत में भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधियों ने जिला अधिकारी मेधा रूपम को किसानों की मांगों से संबंधित विस्तृत ज्ञापन सौंपा और सरकार तक किसानों की बात पहुंचाने की अपील की। किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि मांगों पर जल्द समाधान नहीं हुआ तो प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन को और तेज एवं विस्तृत किया जाएगा।
किसान संगठनों ने साफ कहा कि यह संघर्ष किसानों के अधिकारों के लिए है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक एमएसपी पर कानून, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए वास्तविक और ठोस कदम नहीं उठाए जाते।
–आईएएनएस
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