ट्रेनों में सिर्फ हलाल मांस परोसने पर एनएचआरसी का रेलवे को नोटिस, दो हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भारतीय रेल में केवल हलाल-प्रोसेस्ड मांस परोसे जाने की शिकायत पर गंभीर संज्ञान लिया है। आयोग ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के अंदर विस्तृत एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) जमा कराने के निर्देश दिए हैं। मामला मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ा हुआ बताया गया है।
यह शिकायत 21 नवंबर को दर्ज की गई थी, जिसे 24 नवंबर को आयोग की बैठक में रखा गया। आयोग के सदस्य प्रियांक कानूंगो की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 12 के तहत संज्ञान में लिया।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि भारतीय रेलवे केवल हलाल प्रक्रिया से तैयार किया गया मांस ही नॉन-वेज भोजन के रूप में उपलब्ध कराता है। शिकायत के अनुसार, यह नीति धार्मिक आधार पर भेदभाव करती है और यात्रियों की स्वतंत्र पसंद का उल्लंघन है।
शिकायत में कहा गया कि इससे हिंदू तथा सिख यात्रियों को उनके धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप भोजन प्राप्त नहीं हो पाता, जिससे उनके धार्मिक अधिकार, समानता का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित होती है।
शिकायत में यह भी कहा गया कि हलाल मांस की अनिवार्यता से हिंदू अनुसूचित जाति समुदाय, जो परंपरागत रूप से मीट व्यापार से जुड़ा रहा है, उसकी आजीविका पर सीधा असर पड़ता है। यह नीति उन्हें समान अवसरों से वंचित करती है और उनके अधिकारों का हनन करती है।
आयोग ने इस बिंदु को महत्वपूर्ण माना और कहा कि यह मुद्दा जीविका के अधिकार और गैर-भेदभाव की संवैधानिक भावना के विपरीत प्रतीत होता है।
शिकायतकर्ता ने मामले में संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19(1)(जी), 21 और 25 के उल्लंघन का हवाला दिया है। साथ ही, उन्होंने ओल्गा टेलिस (1985), इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन (2018), स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम अप्पा बालू इंगले (1995) और एनएचआरसी बनाम स्टेट ऑफ गुजरात (2009) जैसे महत्वपूर्ण मामलों का भी उल्लेख किया है।
आयोग ने अपने नोटिस में कहा कि सरकारी संस्थान होने के नाते रेलवे को देश के सभी धार्मिक समुदायों की खाद्य आदतों और अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। केवल हलाल मांस परोसने की व्यवस्था सेक्युलर सिद्धांतों, समानता और गैर-भेदभाव के खिलाफ मानी जा सकती है।
एनएचआरसी ने रेलवे बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह शिकायत में लगाए गए सभी आरोपों की जांच कराए और दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट आयोग को भेजे। साथ ही, रिपोर्ट की एक प्रति आयोग के आधिकारिक ईमेल पर भेजने के लिए भी कहा गया है।
–आईएएनएस
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