लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने इण्डो-नेपाल बार्डर मार्ग परियोजना व अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बहुउद्देश्यीय हब के निर्माण की प्रगति समीक्षा की।
मुख्य सचिव ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश सरकार राज्य की सीमा के निकट बहुउद्देश्यीय हब का निर्माण कर उच्चतम गुणवत्ता वाली सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये कटिबद्ध है। ये हब राज्य की छवि को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे, अतः राज्य सीमा के निकट बहुउद्देश्यीय हब के निर्माण कार्य में तेजी लायी जाये। हब के विकास के लिए उ0प्र0 राजकीय निर्माण निगम को नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया जाए और विभिन्न गतिविधियों के लिये समय-सीमा निर्धारित की जाये।
उन्होंने कहा कि राज्य की सीमा पर बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, कृषि, परिवहन समेत अन्य विभाग की उपलब्ध सुविधाओं व भवनों का आवश्यकतानुसार उन्नयन व नवनिर्माण का कार्य दिसम्बर, 2023 तक पूर्ण कराया जाये। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 10 जनपदों के बॉर्डर पर गेट के निर्माण हेतु डिजाइन को मुख्यमंत्री द्वारा अनुमोदन प्रदान किया जा चुका है, गेट के निर्माण कार्य को वर्ष 2024 से पूर्व पूर्ण करा लिया जाए। इण्डो-नेपाल बार्डर मार्ग निर्माण परियोजना के लिए द्वितीय चरण के कार्यों की स्वीकृति हेतु डी0पी0आर0 यथाशीघ्र भारत सरकार को प्रेषित की जाये।
बैठक में बताया गया कि इण्डो-नेपाल बार्डर मार्ग निर्माण परियोजना के द्वितीय चरण में अनुमानित लागत 1692 करोड़ रुपये से 232 कि0मी0 लंबाई के सड़क मार्ग निर्माण हेतु डी0पी0आर0 भारत सरकार को प्रेषित करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। डी0पी0आर0 स्वीकृति होने के उपरान्त पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर व महराजगंज में सड़क का निर्माण कराया जायेगा।
इण्डो-नेपाल बार्डर मार्ग निर्माण परियोजना के प्रथम चरण में 235.349 सड़क निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी, जिसके तहत पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती व बलरामपुर में सड़क निर्माण का कार्य पूर्ण हो चुका है तथा सिद्धार्थनगर व महराजगंज में सड़क निर्माण का कार्य प्रगति पर है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव लोक निर्माण अजय चौहान, प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।