कराटे किड के मिस्टर मियागी: असल जिंदगी का योद्धा, जिसने परेशानियों से कभी मुंह नहीं मोड़ा


नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। हॉलीवुड में कुछ किरदार सिर्फ फिल्म के लिए नहीं बनाए जाते, वे जीवन में भी रास्ता दिखाते हैं। “द कराटे किड” के मिस्टर मियागी ऐसा ही चेहरा है: शांत, सरल और समझदार गुरु, जिसकी एक-एक बात प्रेरणा बन जाती है। लेकिन जिसने रील पर दुनिया को संतुलन सिखाया, उसकी रियल लाइफ किसी परीक्षा से कम नहीं रही। इस किरदार के पीछे थे पैट मोरिता—वो इंसान थे, जिन्होंने हर दर्द को चुपचाप “वैक्स ऑन, वैक्स ऑफ” कर दिया।

1932 में कैलिफोर्निया में जन्मे पैट मोरिता की शुरुआत ही संघर्षों से भरी थी। बस दो साल की उम्र में उनकी रीढ़ की गंभीर बीमारी ने उन्हें अस्पताल के बिस्तर से बांध दिया। डॉक्टरों को लगने लगा था कि यह बच्चा शायद कभी चल नहीं पाएगा। बाकी बच्चे बाहर खेलते रहे और मोरिता अस्पताल की खिड़की से दुनिया को देखने पर मजबूर रहे। लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि यही बच्चा आगे चलकर फिल्मों में कराटे के शास्त्र सिखाएगा। समय के साथ वह उठे, चले, और जिंदगी को चुनौती दी।

फिर आया युद्ध—दूसरा विश्वयुद्ध। जापानी मूल की वजह से अमेरिकी सरकार ने उनके परिवार को इंटरनमेंट कैंप में बंद कर दिया। यह वह आयु थी जब बच्चे सपने देखते हैं, लेकिन मोरिता को अपनी पहचान पर शक और समाज की नफरत का सामना करना पड़ा। इतना दर्द होते हुए भी उन्होंने दुनिया से हंसकर बदला लिया। उन्होंने जीवन की तल्खी को कॉमेडी में बदल दिया। वे मंच पर जाते, चुटकुले सुनाते और लोगों को हंसाते रहे, शायद इसलिए कि वह खुद रोना नहीं चाहते थे।

हॉलीवुड में शुरुआत छोटे-छोटे रोल से हुई। एशियाई कलाकार होने के कारण उनकी पहचान सीमित कर दी जाती—कई बार सिर्फ मजाकिया किरदार या बैकग्राउंड में खड़ा चेहरा। उन्हें बार-बार रिजेक्ट किया गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी यात्रा धैर्य से भरी थी, जैसे वे खुद मियागी हों। लेकिन समय ने करवट ली और धीरे-धीरे हुनर में चमक आती गई।

फिर आया साल 1984 और उनके हिस्से लिखी हुई किस्मत। “द कराटे किड” में मिस्टर मियागी का किरदार उन्हें मिला। एक ऐसा गुरु जो घावों को छुपाकर सिखाता है कि भावनाएं भी ताकत होती हैं। मियागी की शिक्षा साधारण कामों से शुरू होती। गाड़ी पर वैक्स लगाओ, जमीन साफ करो। “वैक्स ऑन, वैक्स ऑफ” देखने में मजाक लगता, लेकिन यही हलचल धीरे-धीरे आत्मविश्वास और कौशल में बदल जाती। मिस्टर मियागी ने सिर्फ लड़ना नहीं, जीना सिखाया। यही वजह है कि पैट मोरिता को इस भूमिका के लिए अकादमी अवॉर्ड्स में नॉमिनेशन मिला। एक एशियाई मूल के कलाकार के लिए यह ऐतिहासिक पल था।

फिल्मों की सफलता के बावजूद मोरिता निजी परेशानियों में उलझे रहे। शराब की लत और रिश्तों में आई दूरियों ने उनकी जिंदगी को पीछे धकेलने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कैमरा, अभिनय और कला को कभी नहीं छोड़ा। वे मुस्कुराते रहे।

24 नवंबर 2005 को पैट मोरिता इस दुनिया से विदा हो गए। लेकिन मिस्टर मियागी की वजह से आज भी प्रशंसकों के बीच जिंदा हैं।

–आईएएनएस

केआर/


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