चीन ने यूएन को लिखा खत, जापान पर लगाए कई आरोप, मिला जवाब 'सब निराधार'


टोक्यो, 23 नवंबर (आईएएनएस)। जापान और चीन के बीच ताइवान को लेकर कूटनीतिक तनाव एक बार फिर उभर आया है। शनिवार को एक औपचारिक खत सामने आया जिसमें चीन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से जापान की ताइवान नीति पर कई सवाल खड़े किए थे। पत्र में दावा किया गया कि जापान ने ताइवान से जुड़ी अपनी पुरानी नीति में बदलाव कर लिया है और वह संभावित चीनी कार्रवाई की स्थिति में सैन्य हस्तक्षेप का अधिकार समझने लगा है।

एक जापानी अधिकारी ने चीन के इस दावे को “निराधार” बताया।

चीन ने शुक्रवार को यूनाइटेड नेशंस को भेजे एक लेटर में कसम खाई कि अगर जापान ने “ताइवान स्ट्रेट में सैन्य दखल देने की हिम्मत की,” तो वह जापान के खिलाफ पूरी तरह से खुद का बचाव करेगा।

जापान टुडे के मुताबिक, जापानी सरकार की वरिष्ठ प्रवक्ता माकी कोबायाशी ने शनिवार को जोहान्सबर्ग में मीडिया के सवालों के जवाब में कहा, “मुझे इस खत के बारे में पता है। यह दावा कि हमारे देश ने अपना रुख बदल दिया है, पूरी तरह से बेबुनियाद है।”

कोबायाशी ने कहा, “हमने चीनी पक्ष को बार-बार अपनी बातों का संदर्भ और अपनी स्थिति के बारे में बताया। यही नहीं, हम तो बातचीत के लिए भी तैयार हैं।”

चीन का आरोप है कि जापानी प्रधानमंत्री की ताइवान संबंधी टिप्पणी क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है और इसे वह अपनी संप्रभुता पर सीधा आक्रमण मानता है। उसकी चेतावनी है कि ताइवान मसले में किसी भी तरह का बाहरी कदम “हमले” के समान माना जाएगा और चीन अपनी रक्षा करेगा। जापान का कहना है कि उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और वह क्षेत्रीय स्थिरता व संवाद चाहता है।

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब एशिया-प्रशांत में सुरक्षा माहौल पहले से संवेदनशील है। हाल की राजनीतिक टिप्पणियां चीन की नजर में चुनौती के रूप में देखी जा रही हैं। जापान ने यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि ताइवान पर कोई भी तनाव सीधे उसकी सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, वहीं चीन का कहना है कि ताइवान उसका आंतरिक मामला है और किसी तीसरे देश की दखल अंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

इस विवाद का असर व्यापारिक और कूटनीतिक रिश्तों पर पड़ता दिखने भी लगा है। दोनों देशों के बीच संबंध पहले ही कई मुद्दों को लेकर खिंचे हुए हैं और यह नया तनाव सहयोग के रास्ते में और बाधाएं खड़ी कर सकता है। जापान की इस बात पर जोर है कि वह संवाद और अंतरराष्ट्रीय नियमों के सम्मान के साथ आगे बढ़ना चाहता है, जबकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र तक बात पहुंचाकर इसे बड़ा कूटनीतिक प्रश्न बना दिया है।

–आईएएनएस

केआर/


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