ईरान के नाभिकीय मुद्दे का शस्त्र बल और मुकाबले से हल नहीं हो सकता


बीजिंग, 21 नवंबर (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) परिषद ने 20 नवंबर को ईरान के नाभिकीय मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया, जिसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने मिलकर आगे बढ़ाया था। आईएईए स्थित स्थाई चीनी प्रतिनिधि ली सोंग ने भाषण देते हुए चीन के रुख पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शस्त्र बल और मुकाबले से ईरान के नाभिकीय मुद्दे का हल नहीं हो सकता।

इस मौके पर ली सोंग ने कहा कि इस साल जून में इजराइल और अमेरिका ने ईरान के परमाणु संस्थापन पर खुला हमला किया था, जिसकी गारंटी और निगरानी आईएईए करता है। इससे ईरान के नाभिकीय मुद्दे की स्थिति में बड़ा उलटफेर हुआ। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और आईएईए को इस गलत कार्रवाई की कड़ी निंदा करनी होगी।

ली सोंग ने कहा कि आईएईए और ईरान ने सितंबर में काहिरा में ईरान के परमाणु मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग बहाल करने पर समझौता संपन्न किया। यह सक्रिय प्रगति दोनों पक्षों के बीच गारंटी और निगरानी में सहयोग पूरी तरह से बहाल करने का अहम मौका होना चाहिए था। लेकिन ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने अपनी जिद पर अड़ा रहकर “स्नैपबैक प्रतिबंध” तंत्र को जबरन शुरू किया। इससे ईरान और आईएईए के बीच सहयोग के बेहतर रुझान को गंभीर रूप से कमज़ोर किया गया।

ली सोंग ने कहा कि शस्त्र बल और मुकाबले से ईरान के नाभिकीय मुद्दे का हल नहीं हो सकता। इस मुद्दे का उचित समाधान तभी हो सकता है जब ईरान के कानूनी अधिकारों का सम्मान करने और ईरान की नाभिकीय योजना

का शांतिपूर्ण उद्देश्य सुनिश्चित करने की पूर्वशर्त के अंतर्गत राजनयिक प्रयास और आईएईए के ढांचे में सहयोग के जरिए किया जाए।

बताया जाता है कि आईएईए परिषद के वोट में भाग लेने वाले 34 सदस्य देशों में चीन, रूस और नाइजर ने प्रस्ताव के विपक्ष में वोट डाला। वहीं, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत, मिस्र और थाईलैंड आदि 12 विकासशील देशों ने अधिकार छोड़ दिया।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

एबीएम/


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