आईए जानें ज्येष्ठ मास का महत्व…

आईए जानें ज्येष्ठ मास का महत्व…

विक्रम संवत 2080 का तीसरा महीना यानी ज्येष्ठ मास आज से शुरू हो चुका है। यह महीना वरुण देव, हनुमान जी और सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित है। शास्त्रों में बताया गया है कि ज्येष्ठ मास में धरती पर सूर्य की तेज किरने पड़ती है और गर्मी अपने चरम पर होती है। इसलिए इस मास में वरुण देव की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही शास्त्रों में बताया गया है कि इस महीने में पानी की बर्बादी से व्यक्ति को बचना चाहिए क्योंकि गर्मी के मौसम में पानी का महत्व बढ़ जाता है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ मास के कुछ ऐसे ही नियम, जिनका पालन करने से व्यक्ति को नहीं करना पड़ता है समस्याओं का सामना।

जिस मास में रखें इन बातों का ध्यान

  • हिंदू ने बताया गया है कि चीज मास व्यक्ति को दोपहर के समय सोने से बचा चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय सोने से प्रकार की बीमारियां पैदा हो सकती है। इसलिए इस मास में सिर्फ एक बार ही सोना चाहिए।
  • इस महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है, इसलिए धूप है कि समय व्यक्ति को बाहर जाने से परहेज करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि सूर्य की किरणों से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
  • ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इस मास में पानी की बर्बादी भूलकर भी नहीं होनी चाहिए। बल्कि, व्यक्ति को किसी जरूरतमंद के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। पानी बर्बाद करने से देवी-देवता नाराज हो जाते हैं।
  • ज्येष्ठ मास में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। इसलिए मंगलवार के दिन विशेष रूप से हनुमान जी के मंदिर में मारुति नंदन की पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ हो व्यक्ति को भय, रोग एवं दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
  • ज्येष्ठ मास में दान-धर्म का भी विशेष महत्व है, इसलिए घर आए किसी जरूरतमंद को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। साथ ही इस महीने में अन्न, फल, धन, पानी, शरबत इत्यादि का दान अवश्य करना चाहिए।
E-Magazine