सरकार गेहूं के बाद अब चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है। चालू चीनी वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) 2022-23 में चीनी के उत्पादन में पिछले चीनी वर्ष से कम उत्पादन की आशंका को देखते हुए सरकार यह फैसला कर सकती है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, इन दिनों रोजाना स्तर पर चीनी समेत कई खाद्य वस्तुओं के स्टॉक व कीमतों की समीक्षा की जा रही है ताकि महंगाई बेकाबू नहीं हो पाए।
महंगाई को लेकर जोखिम नहीं लेना चाहती सरकार
गत मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर आरबीआई की अधिकतम सीमा छह फीसद से कम 5.7 फीसद थी, लेकिन सरकार महंगाई को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। यही वजह है कि पिछले साल गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन गेहूं के निर्यात को अब तक नहीं खोला गया है।
अक्टूबर से दिसंबर के बीच चीनी की कीमत बढ़ने की आशंका
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, इस साल कई राज्यों में चुनाव है और अगले साल केंद्र का चुनाव है। ऐसे में, महंगाई में बढ़ोतरी खासकर रोजाना खाने-पीने की चीजें महंगी होने पर उसे राजनैतिक मुद्दा बनाया जा सकता है। हालांकि, गत मार्च महीने में चीनी के दाम में पिछले साल मार्च के मुकाबले सिर्फ 1.01 फीसद की ही बढ़ोतरी हुई है और दिल्ली के खुदरा बाजार में चीनी की कीमत 41-43 रुपए प्रति किलोग्राम चल रही है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले उत्पादन में कमी और 58 लाख टन तक चीनी के निर्यात को देखते हुए सरकार को इस बात की आशंका सता रही है कि कहीं अक्टूबर से दिसंबर के बीच चीनी की कीमत में बढ़ोतरी न हो जाए।
चालू वित्त वर्ष में 327 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान
इस दौरान चीनी उत्पादन की गति धीमी होती है और पुराने स्टॉक से काम चलाना पड़ता है। चालू चीनी वर्ष में 327 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जबकि इससे पूर्व के चीनी वर्ष में 359 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया था। सरकार ने चालू चीनी वर्ष में 60 लाख टन चीनी निर्यात की इजाजत दी थी और गत अप्रैल के आखिरी सप्ताह तक 58 लाख टन चीनी निर्यात के लिए डिस्पैच हो चुकी है। एक अक्टूबर 2022 को चालू चीनी वर्ष की शुरुआत में सरकार के पास 70 लाख टन चीनी का स्टॉक था।