फिल्में हंसना-रोना सिखाती हैं, बेजुबानों की भावनाएं कौन समझेगा?- मेनका गांधी

नई दिल्ली, 13 नवंबर (आईएएनएस)। पशुओं के अधिकार के लिए फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया और पीपल फॉर एनिमल्स (पीएफए) ने सराहनीय कदम उठाया है।
लोगों के बीच पशु अधिकारों और उनके लिए दया की भावना को जागृत करने के लिए सिनेकाइंड नाम की संस्था बनाई गई है। इसके तहत भारतीय सिनेमा की उन फिल्मों को अवॉर्ड दिया जाएगा, जिन्होंने पशुओं के प्रति जागरुकता फैलाने का काम किया है।
पशु अधिकार कार्यकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, “फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया और पीपल फॉर एनिमल्स के साथ साझेदारी में सिनेकाइंड नाम से एक नई संस्था बनाई गई है। हर साल 4 अक्टूबर को एक भव्य समारोह का आयोजन किया जाएगा, जहां उन फिल्मों को पुरस्कृत किया जाएगा, जिन्होंने पशुओं के लिए सर्वश्रेष्ठ काम किया है और अपनी कला के माध्यम से जानवरों, पर्यावरण और मानवता के लिए काम किया है।”
उन्होंने आगे बताया कि इस साल पहली बार सिनेकाइंड अवॉर्ड कोलकाता में 20 दिसंबर से शुरू होगा और 10 अवॉर्ड उन फिल्मों को दिए जाएंगे, जिसके जरिए जानवरों के प्रति जागरूकता फैलाई गई। हमने पूरे भारत से फिल्मों की एक सूची तैयार की है। ये फैसला फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष फिरदौस उल हसन के साथ मिलकर लिया गया है। सिनेकाइंड अवॉर्ड के तहत फिल्म, निर्माता, निर्देशक और अभिनेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा, जिन्होंने सिनेमा के माध्यम से समाज में पशुओं के प्रति जागरुकता फैलाई है।
मेनका गांधी ने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा कि फिल्में समाज को जोड़ने का काम करती हैं और यही तरीका है जिससे लोगों को प्रेरित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि फिल्म देखकर हंसना और रोना दोनों आता है, लेकिन उन बेचारे बेजुबानों का क्या, जो बोल नहीं पाते हैं, खुद की भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते हैं? उनके लिए भी समाज को सोचना होगा।
बता दें कि पशु अधिकार कार्यकर्ता और भाजपा नेता मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली में सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में डालने के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि कोर्ट ने आदेश दे दिया, लेकिन कुत्तों को रखा कहां जाएगा? हमारे पास इतने शेल्टर होम नहीं हैं।
–आईएएनएस
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