प्रदेश के हर शैक्षणिक संस्थान में अनिवार्य कराएंगे वंदे मातरम का गायन : मुख्यमंत्री योगी

गोरखपुर, 10 नवंबर (आईएएनएस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत रत्न से विभूषित एवं लौह पुरुष के नाम से विख्यात सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती समारोह के उपलक्ष्य में सोमवार को प्रदेशभर के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के लिए एकता यात्रा का शुभारंभ किया। उत्तर प्रदेश के हर विद्यालय, हर शैक्षणिक संस्थान में वंदे मातरम का गायन अनिवार्य कराएंगे ताकि उत्तर प्रदेश के अंदर हर नागरिक के मन में भारत माता के प्रति, अपनी मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव जागृत हो सके।
सीएम योगी ने कहा कि जिस राष्ट्र गीत, वंदे मातरम, ने आजादी के आंदोलन में भारत की सोयी हुई चेतना को जागृत किया, उसमें पहले कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए संशोधन किया और आज फिर कुछ लोग वंदे मातरम का विरोध कर रहे हैं। कोई भी व्यक्ति, मत, या मजहब राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता। व्यक्तिगत आस्था यदि राष्ट्र के आड़े आए तो उसे एक छोर पर रख देना चाहिए। पर, कुछ लोगों के लिए आज भी उनका व्यक्तिगत मत और मजहब बड़ा है।
सपा सांसद द्वारा वंदे मातरम गाने से इनकार करने का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे लोग जिन्ना को सम्मान देने के लिए होने वाले कार्यक्रम में तो शामिल होते हैं, लेकिन लौह सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं होते।
उन्होंने कहा कि यह सुखद अवसर है कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती के कार्यक्रम तो प्रारंभ हुए ही हैं, साथ ही राष्ट्रगीत वंदे मातरम के भी 150वें वर्ष में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।
सीएम ने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौरान वंदे मातरम भारत की सोयी चेतना को जगाने वाला गीत था। 1876 के बाद हर क्रांतिकारी, बच्चा, विद्यार्थी, युवा, अधेड़, बुजुर्ग, महिला, और पुरुष ने इसका उद्घोष किया और आजादी आंदोलन में कूद पड़ा था। तब हर उम्र के व्यक्ति के लिए वंदे मातरम उसके जीवन का मंत्र बन गया था। देखते ही देखते वंदे मातरम का यही उद्घोष विदेशी दासता से भारत को मुक्त करने का मंत्र बन गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम का जो मंत्र भारत की आजादी का कारण बना हो, उस मंत्र को भी सांप्रदायिक बताकर कांग्रेस ने उसमें संशोधन करने का प्रयास किया। कांग्रेस ने कहा कि यह पांच और छह छंद का क्यों पढ़ना है, दो छंद में ही इसे पूरा किया जाए। जिस वंदे मातरम को कांग्रेस के 1896-97 के अधिवेशन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने स्वर में गाया था, उसका 1923 के अधिवेशन में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद अली जौहर ने विरोध किया। वंदे मातरम का गान शुरू होते ही जौहर अध्यक्ष के पद से उठकर के चले गए।
उन्होंने वंदे मातरम गाने से इनकार कर दिया। वंदे मातरम का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था। कांग्रेस ने अगर उस समय मोहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल करके वंदे मातरम के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो भारत का विभाजन नहीं हुआ होता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाद में कांग्रेस ने वंदे मातरम में संशोधन के लिए एक कमेटी बनाई। 1937 में उसकी रिपोर्ट आई। कांग्रेस ने कहा कि इसमें कुछ ऐसे शब्द हैं जो भारत माता को मां दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के रूप में प्रस्तुत करते हैं। इनका संशोधन कर दिया जाए।
सीएम योगी ने कहा कि यह गीत धरती माता की उपासना का गीत है। भारत का ऋषि तो हमेशा सबका आह्वान करता रहा है कि धरती हमारी माता है और हम इसके पुत्र हैं। पुत्र होने के नाते अगर मां के सम्मान में कहीं कोई चुनौती आती है, हमारा दायित्व बनता है कि हम उसके खिलाफ खड़े हों। सीएम योगी ने कहा कि मेरा यह मानना है कि कोई व्यक्ति हो, कोई जाति, मत या मजहब हो, वह किसी राष्ट्र से बढ़कर नहीं हो सकता है। हम सब भारतवासियों को इस बारे में ध्यान रखना होगा कि हमारी आस्था अपनी जगह है।
सीएम योगी ने कहा कि कुछ लोगों के लिए आज भी भारत की एकता और अखंडता से बढ़कर उनका मत और मजहब बड़ा हो जाता है। उनकी व्यक्तिगत निष्ठा महत्वपूर्ण हो जाती है। वास्तव में ऐसे ही इस तरह के लोग संदेह के दायरे में नहीं आते हैं। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम के विरोध का कोई औचित्य नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से 1947 में देश के विभाजन का कारण बनी। और, आज भी हम सब यह मानते हैं कि जो लोग भारत के अंदर हैं, वे सभी भारत के प्रति निष्ठावान होकर के भारत की एकता और अखंडता के लिए कार्य करेंगे। पर, जब अखिल भारतीय स्तर पर वंदे मातरम राष्ट्रीय गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजन प्रारंभ हुए तो फिर वही विरोध के स्वर फूटना प्रारंभ हो गए।
समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने फिर से विरोध करना प्रारंभ कर दिया। सीएम ने कहा कि यह वही लोग हैं जो भारत की अखंडता के शिल्पी लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती के कार्यक्रम में शामिल नहीं होते लेकिन जिन्ना को सम्मान देने के किसी कार्यक्रम में शर्मनाक तरीके से शामिल होते हैं।
–आईएएनएस
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