कैलाश खेर ने 'वंदे मातरम' को बताया पवित्र भावना, कहा-यह एकता और समर्पण का प्रतीक

मुंबई, 7 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ को 150 साल पूरे हो गए हैं। इस खास मौके पर शुक्रवार को गायक कैलाश खेर ने रायपुर में हुए छत्तीसगढ़ राज्योत्सव को याद किया।
गायक ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वे एक समारोह में राष्ट्रीय गीत गा रहे हैं। उन्होंने वीडियो पोस्ट कर इसे कैप्शन दिया, ‘वंदे मातरम’ 150 पूरे हुए, तो मैं रायपुर में हुए छत्तीसगढ़ राज्योत्सव (5 नवंबर) की यह यादगार घड़ी शेयर कर रहा हूं, जब 70,000 से अधिक लोगों ने एक साथ मिलकर वंदे मातरम गाया।
उन्होंने आगे लिखा, “यह हमारे देशभक्ति की पवित्र भावना, एकता और मां भारती के प्रति समर्पण है, जो आज भी हर भारती के दिलों में गूंजता है। यह गर्व, भावना और मां भारती के समर्पण का पल है। वंदे भारत।”
1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखी गई यह रचना आज भी मातृभूमि के प्रति समर्पण, एकता और स्वाभिमान का प्रतीक है।
‘वंदे मातरम’ को पहली बार साल 1875 में बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित किया गया था। इसके बाद 1882 में बंकिम चंद्र की प्रसिद्ध कृति आनंदमठ में इसे शामिल किया गया था। 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर ने वंदे मातरम को संगीतबद्ध कर पहली बार गाया था।
14 अगस्त 1947 की रात्रि में संविधान सभा की पहली बैठक का प्रारंभ ‘वंदे मातरम’ के साथ हुआ था और 7 अगस्त 1905 को इसे पहली बार राजनीतिक नारे के रूप में इस्तेमाल किया गया, जब बंगाल विभाजन के विरोध में लोग सड़कों पर उतरे थे।
कैलाश खेर ने अपने करियर में कई सुपरहिट गाने दिए हैं। उन्हें पहला ब्रेक एक विज्ञापन गीत गाने के लिए मिला था, जिसमें उन्होंने नक्षत्र डायमंड्स का जिंगल गाया था, जिसके लिए उन्हें 5000 रुपए मिले थे। इसके बाद उन्होंने कई विज्ञापन गीत गाए थे। फिर, साल 2003 में संगीतकार विशाल शेखर ने उन्हें फिल्म ‘वैसा भी होता है’ के गाने ‘अल्लाह के बंदे’ गाने का मौका दिया।
–आईएएनएस
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