सूरत सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर शनिवार को गुजरात हाई कोर्ट शुरू हो चुकी है। इस मामले पर न्यायमूर्ति हेमंत एम प्रच्छक सुनवाई कर रहे हैं। इससे पहले हाईकोर्ट की एक जज गीता गोपी ने 26 अप्रैल को केस से अलग हो गई थीं।
सूरत कोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में उन्हें जमानत देते हुए 20 अप्रैल को सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार किया। यदि उच्च न्यायालय उनकी याचिका को स्वीकार करता है, तो इससे संसद सदस्य के रूप में राहुल गांधी की बहाली का रास्ता साफ हो सकता है।
हाईकोर्ट की जज ने खुद को केस से किया अलग
दरअसल, राहुल गांधी ने सूरत के सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए राहुल गांधी की तरफ से मंगलवार को याचिका दायर की गई थी। इसके बाद फिर राहुल गांधी की वकील ने जज गीता गोपी द्वारा खुद को अलग करने की जानकारी दी गई थी। उनकी वकील चंपानेरी ने कहा था कि अदालत की तरफ से मामले को बुधवार को सुनने की अनमति दी गई थी। फिर सुनवाई के लिए मामला आया तो उन्होंने खुद को इससे अलग कर लिया।
सूरत सेशन कोर्ट ने सुनाई सजा
सूरत में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने 23 मार्च को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के एक मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। अदालत के फैसले के बाद संसद से राहुल गांधी सदस्यता को खत्म कर दिया गया था।
2019 में कोलार में क्या बोले थे राहुल गांधी?
2019 में राहुल गांधी चुनावी प्रचार को लिए कर्नाटक दौरे पर थे। 13 अप्रैल, को कोलार में उन्होंने रैली के दौरान मोदी उपनाम को लेकर टिप्पणी की थी, जिसके खिलाफ पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज किया। इसमें राहुल के द्वारा कहा गया था कि ‘सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?’