शिरोमणि अकाली दल के दोहरे संविधान विवाद में पंजाब के होशियारपुर कोर्ट ने अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और अन्य को उनके खिलाफ दायर जालसाजी और धोखाधड़ी के एक कथित मामले में तलब करने को कहा था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
सभी पक्षों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
दरअसल, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और उनके पिता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें होशियारपुर की अदालत की कार्यवाही को चुनौती दी गई है। अकाली दल के दोहरे गठन पर फैसला सुनाते हुए, न्यायमूर्ति एमआर शाह की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, “कोई सबूत नहीं मिला है, आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी गई, यह स्पष्ट रूप से कानून के दुरुपयोग का मामला, हमले सभी पक्षों को देखते हुए आदेश को रद्द कर दिया।”
11 अप्रैल को फैसला रखा गया था सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट में अकाली दल के प्रमुख और उनके अन्य सहयोगियों द्वारा होशियारपुर कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत के जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने 11 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस मामले में जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोपों का कोई आधार नहीं है।
पार्टी ने किया था धर्मनिरपेक्ष होने का दावा
2009 में, खेड़ा ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक आपराधिक शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में एसएडी पर दो अलग-अलग संविधान, यानी एक गुरुद्वारा चुनाव आयोग (जीईसी) के साथ और दूसरा भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के पास जमा करने का आरोप लगाया गया था। शिकायत इस आरोप पर आधारित थी कि पार्टी ने एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने का दावा किया है और अपने संविधान में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन करने की घोषणा की है।