उत्तराखंड के इस शहर में अब मकानों में अब दुकान चलाना या किसी भी तरह से कमर्शियल काम करना बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाला है। आवासीय भवन में दुकान चलाने वालों पर शिकंजा कसने की तैयरी हो रही है। ऐसे मकान मालिकों को चिह्नित कर उनके खिलाफ मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए-MDDA ) सख्त कार्रवाई करने जा रहा है।
एमडीडीएम ने देहरादून में आवासीय भवनों में दुकान दफ्तर चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी ने समस्त सेक्टरों के प्रभारी अधिकारियों को ऐसे मामले चिन्हित करने के साथ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। आवासीय नक्शों की आढ़ में दुकान, दफ्तर, हॉस्टल, फ्लैट आदि बन जाने से सबसे बड़ी समस्या यह हो रही है कि इनमें ज्यादातर जगह वाहनों के लिए पार्किंग को पर्याप्त जगह नहीं है।
इस वजह से वाहन सड़क किनारे पार्क होते हैं। इससे जाम लगता है और ऐसा करना नियमों के भी सख्त खिलाफ है। एमडीडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि देहरादून के सभी बारह सेक्टरों, परवादून, पछुवादून, मसूरी, ऋषिकेश में आवासीय भवनों में व्यवसायक गतिविधियां चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने अधिशासी और सहायक अभियंताओं को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
मैगी प्वांइट से मसूरी तक चिन्हित अवैध निर्माण होंगे ध्वस्त:एमडीडीए ने मैगी प्वांइट से मसूरी तक पूर्व में करीब 228 अवैध निर्माण चिन्हित किए थे। इनमें से कुछ को ध्वस्त भी किया गया था। लेकिन 200 के करीब अवैध निर्माण अब भी ऐसे हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है। इनमें ज्यादातर कैफै, रेस्टोरेंट, हट्स आदि शामिल हैं।
केस 1: दून विहार जाखन में एक तीन फ्लोर के मकान में बैंक खोला गया है। जबकि एमडीडीए से इसकी अनुमति नहीं ली गई। शिकायत मिलने के बाद प्राधिकरण की टीम मौके पर गई थी। संबंधित व्यक्ति मांगने पर स्वीकृत मानचित्र नहीं दिखा पाया। इसके बाद बिल्डिंग सील की गई।
केस 2: रीठामंडी में हाल ही एक व्यक्ति के द्वारा अपने घर में कमरे को तोड़कर दुकान बनाई जा रही थी। शिकायत के बाद टीम ने मौके पर पहुंचकर दुकान सील की। इसी तरह आमवाला सभा में नदी के समीप नियम विरुद्ध बनाए गए एक गेस्ट हाउस को सील किया गया है।
स्थिति नहीं संभली तो होगी समस्या
दून शहर में जाम की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। आवासीय भवनों में तेजी से दुकानें, स्टोर, कंपनियों के दफ्तर आदि खुल रहे हैं। लेकिन वाहनों को पार्क करने के लिए जगह नहीं है। ऐसे में प्राधिकरण के लिए शहर का नियोजित विकास बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।