अधिक वाहनों की आवाजाही का असर! भारत का टोल राजस्व जनवरी-सितंबर अवधि में 16 प्रतिशत बढ़ा

नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत का हाइवे टोल राजस्व इस साल जनवरी-सितंबर अवधि में सालाना आधार पर 16 प्रतिशत बढ़कर 49,193 करोड़ रुपए हो गया है। इसकी वजह वाहनों की आवाजाही में इजाफा होना और टोल की दरों में संशोधन होना है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में मंगलवार को दी गई।
आईसीआरए एनालिटिक्स की रिपोर्ट में कहा गया कि समीक्षा अवधि में टोल देने वाले ट्रैफिक की वॉल्यूम 12 प्रतिशत बढ़कर 26,864 लाख हो गई है।
राष्ट्रीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन 2024 में 57,940 करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गया, जो कि सालाना आधार पर लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, टोल देने वाले लेनदेन की संख्या बढ़कर 2024 में 32,515 लाख हो गई है, जो कि 2023 में 30,383 लाख थी। इसमें सालाना आधार पर 7 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है।
पिछले दो वर्षों में ट्रैफिक की वॉल्यूम में जोरदार वृद्धि हुई है, लेकिन आईसीआरए ने बताया कि राजस्व में वृद्धि वॉल्यूम की तुलना में अधिक तेज रही है, जिसका आंशिक कारण भारी वाहनों की अधिक हिस्सेदारी और संशोधित यूजर फीस है।
रिपोर्ट में कहा गया, पश्चिमी और दक्षिणी गलियारों ने लगातार राष्ट्रीय टोल राजस्व में आधे से अधिक का योगदान दिया है। “जनवरी से सितंबर 2025 तक, पश्चिम भारत राष्ट्रीय टोल राजस्व में लगभग 30 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ अग्रणी बना रहेगा, उसके बाद 25 प्रतिशत के साथ दक्षिण और 23 प्रतिशत के साथ उत्तर का स्थान है।”
आईसीआरए ने कहा कि पूर्वी और मध्य भारत मिलकर कुल कलेक्शन में लगभग एक-चौथाई का योगदान करते हैं, जो स्थिर क्षेत्रीय संतुलन को दर्शाता है।
आईसीआरए एनालिटिक्स ने कहा कि पूर्व, मध्य और पश्चिम भारत माल-केंद्रित क्षेत्र हैं, जहां टोल ट्रैफिक में वाणिज्यिक वाहनों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक है।
मध्य भारत में एनएच-44, एनएच-47 और एनएच-52 जैसे गलियारे लंबी दूरी के माल और बढ़ते इंटर-सिटी पैसेंजर ट्रैफिक दोनों को वहन करते हैं।
इसके विपरीत, उत्तर और दक्षिण भारत अभी भी पैसेंजर केंद्रित हैं, जहां कारों और जीपों की टोल लेनदेन में हिस्सेदारी 65-70 प्रतिशत है।
–आईएएनएस
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