भारत की खुदरा महंगाई दर में अक्टूबर में आ सकती है बड़ी गिरावट : रिपोर्ट


नई दिल्ली, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति में उच्च आधार प्रभाव, खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी और हाल ही में हुए जीएसटी सुधारों के कारण अक्टूबर में और गिरावट आने की उम्मीद है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति का दबाव धीरे-धीरे ही बढ़ेगा।

बैंक ने कहा कि अक्टूबर के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के लिए उसका अनुमान 0.50 प्रतिशत से नीचे है।

बैंक को उम्मीद है कि खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी से गिरावट आएगी और सर्दियों के महीनों के दौरान यह नकारात्मक क्षेत्र में रहेगी, क्योंकि हाल में आई बाढ़ का प्रभाव सीमित रहा है।

खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी और जीएसटी दरों में कमी से मुद्रास्फीति पहले ही आठ साल के निचले स्तर पर आ गई है।

रिपोर्ट में बैंक ने वित्त वर्ष 26 के लिए मुद्रास्फीति के अपने पूर्वानुमान को 3.1 प्रतिशत के पूर्व अनुमान से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया कि मुद्रास्फीति वर्ष के अधिकांश समय आरबीआई की लक्ष्य सीमा से नीचे रहने की संभावना है और आधार प्रभावों के कारण चौथी तिमाही में इसमें थोड़ी वृद्धि हो सकती है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में सितंबर में पिछले महीने की तुलना में काफी गिरावट देखी गई, जिससे मूल्य वृद्धि में व्यापक नरमी का संकेत मिलता है।

इस दौरान उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक -2.28 प्रतिशत रहा, जो दर्शाता है कि जून 2025 से खाद्य कीमतों में गिरावट आ रही है।

आंकड़ों से यह भी पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों में मुद्रास्फीति 1.07 प्रतिशत रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में मुद्रास्फीति थोड़ी अधिक 2.04 प्रतिशत रही।

खाद्य मुद्रास्फीति दोनों क्षेत्रों में (ग्रामीण क्षेत्रों में -2.17 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में -2.47 प्रतिशत) नकारात्मक रही, जो सब्जियों और खाद्य तेलों की गिरती कीमतों के प्रभाव को दर्शाती है।

सरकार ने इस गिरावट का श्रेय सब्जियों, तेलों, फलों, अनाजों, दालों, अंडों और ईंधन जैसी प्रमुख खाद्य वस्तुओं की कम कीमतों को दिया।

अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि यदि वर्तमान ट्रेंड जारी रहता है, तो भारत त्योहारों और सर्दियों के मौसम में कम मुद्रास्फीति का माहौल बनाए रख सकता है, जिससे उपभोक्ता मांग और समग्र आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।

–आईएएनएस

एबीएस/


Show More
Back to top button