झारखंडः ‘जंगलमैन’ महादेव महतो की मुहिम से हरा-भरा हुआ उजड़ता जंगल, 36वें वर्ष भी लगा पर्यावरण मेला


हजारीबाग, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। झारखंड के हजारीबाग जिले के टाटीझरिया-दूधमटिया के जंगलों को एक साधारण स्कूल शिक्षक के असाधारण संकल्प ने नई जिंदगी दे दी है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में शिक्षक महादेव महतो की शुरू की गई पहल अब एक व्यापक जनआंदोलन का रूप ले चुकी है। मंगलवार को इसी जंगल में लगातार 36वें वर्ष विशाल पर्यावरण मेला आयोजित किया गया, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया और पेड़ों में रक्षा सूत्र बांधकर जंगल की सुरक्षा का संकल्प दोहराया। करीब 71 वर्षीय महादेव महतो टाटीझरिया के बेरहो गांव के रहने वाले हैं। उन्हें लोग स्नेहपूर्वक ‘जंगलमैन’ कहकर पुकारते हैं। उन्होंने वर्ष 1990 के दशक में तब अभियान शुरू किया, जब दूधमटिया जंगल का क्षेत्रफल मात्र 65 एकड़ रह गया था और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही थी। महतो ने जंगल बचाने का बीड़ा उठाया और ग्रामीणों को साथ लेकर अभियान शुरू किया। उनकी मेहनत का नतीजा है कि आज यह जंगल 90 एकड़ में फैल चुका है। महादेव महतो बताते हैं कि वर्ष 1995 में अभियान को औपचारिक रूप से ‘रक्षाबंधन अभियान’ के रूप में शुरू किया गया। उन्होंने साइकिल से 70 से 80 किलोमीटर तक की यात्राएं कीं और गांव-गांव जाकर लोगों को जोड़ा। ग्रामीणों ने वन सुरक्षा समितियां बनाईं और तय किया कि हर पेड़ को रक्षा सूत्र बांधा जाएगा। शुरुआत में विरोध भी हुआ, लेकिन धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे क्षेत्र में फैल गया। इस अभियान में सुरेंद्र प्रसाद सिंह, इंदु महतो, सरयू महतो, बासुदेव सिंह और दीना गोप जैसे ग्रामीणों ने सक्रिय भूमिका निभाई। आज यह आंदोलन सिर्फ दूधमटिया तक सीमित नहीं है। हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल क्षेत्र के भेलवारा, कुसुम्भा, चलनिया, दिगवार, खुरंडीह, सरौनी खुर्द, बभनवै, केसुरा और मयूरनचवा जैसे 38 गांवों में भी हर वर्ष वृक्षों के रक्षाबंधन उत्सव आयोजित किए जाते हैं। दूधमटिया का पर्यावरण मेला हर वर्ष 7 अक्टूबर को आयोजित किया जाता है। मंगलवार को इस आयोजन बरकट्ठा के विधायक अमित यादव, पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता, वन संरक्षक ममता प्रियदर्शी, पूर्वी वन प्रमंडल पदाधिकारी विकास कुमार उज्ज्वल सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। हजारीबाग जिला मुख्यालय से बड़ी संख्या में छात्र और युवा साइकिल रैली की शक्ल में 25 किलोमीटर की दूरी तय कर मेला स्थल पर पहुंचे। –आईएएनएस एसएनसी/


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