जेन जी कम शराब पी रहा, ट्रेंड सकारात्मक, मिलेगा लाभ : स्टडी

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। मंगलवार को हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि, युवा पीढ़ी विशेष रूप से जेन जी का शराब के प्रति रुझान कम हुआ है। ये जेनेरेशन कम शराब पी रही है।
ऑस्ट्रेलिया स्थित फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जेनरेशन जी एक सांस्कृतिक बदलाव ला रहा है और यदि ये प्रवृत्ति जारी रही तो सार्वजनिक क्षेत्र में बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा।
एडिक्शन पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि हालांकि शुरुआती वयस्कों में शराब से परहेज आमतौर पर सबसे कम होता है, स्टडी में पाया गया कि जेनरेशन जी अपनी पिछली पीढ़ियों के मुकाबले परहेज करने में आगे रहा।
न केवल उन्होंने परहेज किया है, बल्कि वे अपनी पिछली पीढ़ियों की तुलना में प्रति सप्ताह काफी कम शराब का सेवन भी करते हैं।
फ्लिंडर्स कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ के प्रमुख लेखक डॉ. जियानलुका डि सेन्सो ने कहा, “हमारे शोध से पता चलता है कि सामाजिक-जनसांख्यिकीय कारकों को समायोजित करने के बाद भी जेनरेशन जी में बेबी बूमर्स की तुलना में शराब न पीने का विकल्प चुनने की संभावना लगभग 20 गुना ज्यादा है।”
डि सेन्सो ने कहा, “यह सिर्फ एक चरण नहीं है; यह व्यवहार में एक निरंतर बदलाव प्रतीत होता है जिसके दीर्घकालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं।”
टीम ने 23,000 से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई लोगों के दो दशकों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि शराब से परहेज बढ़ रहा है और साप्ताहिक शराब की खपत, खासकर युवा समूहों में, घट रही है।
उन्होंने पाया कि मिलेनियल पीढ़ी भी बेबी बूमर्स की तुलना में कम शराब पी रही है, जो शराब से दूर एक व्यापक सांस्कृतिक बदलाव का संकेत देता है।
दिलचस्प बात यह है कि जहां मिलेनियल और जेनरेशन एक्स ने बेबी बूमर्स की तुलना में हर बार ज्यादा शराब पीने की बात कही, वहीं उनकी कुल साप्ताहिक खपत कम थी, जो दर्शाता है कि अत्यधिक शराब पीना अभी भी चिंता का विषय है, लेकिन नियमित रूप से ज्यादा शराब पीने में कमी आ रही है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि साइलेंट जेनरेशन – जो 1946 से पहले पैदा हुए थे—में साप्ताहिक शराब की खपत का स्तर बेबी बूमर्स से भी ज्यादा था। इससे पता चलता है कि जहां युवा पीढ़ी कम शराब पी रही है, वहीं वृद्धों को अभी भी शराब से संबंधित नुकसान का खतरा है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि ये पीढ़ीगत रुझान भविष्य की जन स्वास्थ्य रणनीतियों को आकार देने में मदद कर सकते हैं।
डि सेन्सो ने कहा, “अगर हम यह समझ सकें कि युवाओं में शराब के सेवन में इस गिरावट का कारण क्या है, चाहे वह आर्थिक दबाव हो, सामाजिक मानदंड हों या नीतिगत बदलाव, तो हम उस ज्ञान का उपयोग सभी आयु समूहों में स्वस्थ व्यवहार को बढ़ावा देने के लिए कर सकते हैं।”
टीम ने सुझाव दिया कि न्यूनतम शराब मूल्य निर्धारण, विज्ञापन पर प्रतिबंध और लक्षित स्वास्थ्य अभियान जैसी नीतियां इन सकारात्मक रुझानों को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं।
उन्होंने उच्च जोखिम वाले समूहों, जैसे कि अत्यधिक शराब पीने वाले किशोर और साप्ताहिक रूप से बड़ी मात्रा में शराब पीने वाले मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखने के महत्व पर भी जोर दिया।
–आईएएनएस
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