पाकिस्तान: पंजाब प्रांत में बाढ़ से 42 लाख लोग बर्बाद, नेता राहत प्रयासों के राजनीतिकरण में व्यस्त


इस्लामाबाद, 27 सितंबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (यूएनओसीएचए) की ओर से शुक्रवार को जारी त्वरित आवश्यकता आकलन के अनुसार, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मानसून की बाढ़ का असर 42 लाख से अधिक लोगों पर पड़ा है, जिनमें दक्षिणी जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।

8 से 18 सितंबर के बीच प्रांतीय सरकार के साथ संयुक्त रूप से किए गए इस सर्वेक्षण में 18 बाढ़ प्रभावित जिलों के लगभग 2,000 गांवों को शामिल किया गया।

इस आकलन में पाया गया कि लगभग 28 लाख लोग विस्थापित हुए, करीब 1,61,700 घर क्षतिग्रस्त हुए और स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचा।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, 26 जून से 19 सितंबर के बीच देश भर में लगभग 30 लाख लोगों को बचाया गया या निकाला गया। बाढ़ से 12,559 घर भी क्षतिग्रस्त हुए और 6,509 मवेशी मारे गए।

सिन्हुआ समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पहले बाढ़ में जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए अनुग्रह राशि को दोगुना करने की घोषणा की थी, जिसे दस लाख रुपये से बढ़ाकर बीस लाख रुपये (लगभग 7,000 अमेरिकी डॉलर) कर दिया गया था।

इस बीच, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी और पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज की बाढ़ राहत प्रयासों का राजनीतिकरण करने के लिए कड़ी आलोचना हो रही है।

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इस राजनीतिक संघर्ष का मूल मुद्दा सहायता के सबसे प्रभावी तंत्र के बारे में नहीं, बल्कि श्रेय लेने और प्रभुत्व स्थापित करने के बारे में है।

अखबार ने शनिवार को अपने संपादकीय में इस बात पर जोर दिया कि “बिलावल ने हठधर्मिता से कहा है कि बेनजीर इनकम सपोर्ट प्रोग्राम (बीआईएसपी) तत्काल राहत प्रदान करने का ‘एकमात्र तरीका’ है, और इसे अस्वीकार करने को बाढ़ पीड़ितों के प्रति ‘गैर-जिम्मेदाराना रवैया’ बताया है। लेकिन मरियम ने उचित रूप से सवाल उठाया कि बीआईएसपी के माध्यम से इतनी बड़ी राशि कैसे वितरित की जाएगी, जबकि इस प्रणाली के माध्यम से मानक भुगतान केवल लगभग 10,000 रुपये है।”

एक्सप्रेस ट्रिब्यून के संपादकीय में आगे कहा गया, “दूसरी ओर, मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया भी उतनी ही पक्षपातपूर्ण रही है। अगर हम उनके शब्दों पर विश्वास भी कर लें कि बीआईएसपी एक ‘बहुत ही सरल समाधान’ है, तो भी उनके हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गए कई बयान शाम की खबरों के लिए तैयार किए गए तीखे हमले या झिड़कियों जैसे प्रतीत हुए। ऐसे समय में, एक अच्छे नेता को व्यक्तिगत अभिमान को दरकिनार करके देश के लिए सबसे अच्छा काम करना चाहिए। राहत शिविरों में भूखे और बीमार लोगों को इस बात की परवाह नहीं है कि मरियम अपना सिर ऊंचा किए हुए हैं या विदेशी मदद की भीख मांग रही हैं। उन्हें बस थोड़ा खाना, आश्रय और दवा चाहिए।”

–आईएएनएस

केआर/


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