डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रयोगशाला से बाजार तक इनोवेशन ले जाने में उद्योग भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर दिया जोर


नई दिल्ली, 26 सितंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि आने वाले वर्षों में, टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण ही किसी देश की भू-राजनीतिक ताकत तय करेगा।

काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के 84वें स्थापना दिवस के अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने भारत को टेक्नोलॉजी-ड्रिवन देश में बदलने पर जोर दिया और वैश्विक प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए उभरती टेक्नोलॉजी में मजबूती से काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।

डॉ. सिंह ने कहा, “आने वाले समय में टेक्नोलॉजी पर नियंत्रण ही भू-राजनीतिक ताकत तय करेगा।”

उन्होंने कहा कि देश भर में 37 प्रयोगशालाओं के साथ सीएसआईआर ने हेल्थकेयर और फार्मास्यूटिकल्स से लेकर कृषि, सामग्री और रक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

1942 में सीएसआईआर की स्थापना के बाद से इसके सफर का जिक्र करते हुए, डॉ. सिंह ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और सर रामनाथ चोपड़ा जैसे लीडर्स के योगदान को याद किया, जिन्होंने भारत में फार्मास्यूटिकल रिसर्च की नींव स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

डॉ. सिंह ने कहा, “सीएसआईआर की विरासत इस बात का प्रमाण है कि स्वतंत्रता से पहले भी विज्ञान और इनोवेशन भारत के सफर का अभिन्न हिस्सा थे।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हाल की उपलब्धियां, जैसे स्वदेशी रूप से विकसित एंटीबायोटिक नाफिथ्रोमाइसिन, सीएसआईआर और अन्य वैज्ञानिक विभागों के बीच सहयोग की महत्ता को दर्शाती हैं।

उन्होंने प्रयोगशाला से बाजार तक इनोवेशन ले जाने में उद्योग भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया।

जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर की खेती और पालमपुर में ट्यूलिप इनोवेशन जैसे उदाहरण देते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि सीएसआईआर के काम से किसानों की आय में सुधार हुआ है और समाज पर सीधा असर पड़ा है।

उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-डेवलप्ड टेक्नोलॉजी ने ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल किए गए सेंसर सहित राष्ट्रीय सुरक्षा में भी अहम योगदान दिया है।

डॉ. सिंह ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि विज्ञान समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाए, जागरूकता, किफायती मूल्य और पहुंच के तीन-स्तरीय दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत की।

उन्होंने वैज्ञानिकों से नागरिकों से जुड़ने और अपने काम को अधिक प्रभावी ढंग से प्रदर्शित करने के लिए मॉडर्न कम्युनिकेशन टूल्स और सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का आग्रह किया।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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