संयुक्त राष्ट्र की उच्च-स्तरीय बैठक में मेंटल हेल्थ और एनसीडी पर होगा विमर्श


नई दिल्ली, 25 सितंबर (आईएएनएस)। यूएनजीए जैसे वैश्विक मंच पर गुरुवार को उच्च स्तरीय बैठक में मेंटल हेल्थ और एनसीडी पर विचार-विमर्श किए जाने की उम्मीद है।

गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) पर संयुक्त राष्ट्र की चौथी उच्च-स्तरीय बैठक उस अद्भुत अवसर के समान है जिससे राजनीतिक इच्छाशक्ति के बूते 2030 तक एनसीडी और मेंटल हेल्थ को लेकर गंभीर प्रयास किए जाने की उम्मीद बंधती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में एनसीडी और मेंटल हेल्थ/एनएमएच की अंतरिम निदेशक डॉ. देवोरा केस्टेल ने कहा, “यह पहली बार है जब हम एक अरब से ज्यादा लोगों को मेंटल हेल्थ संबंधित जानकारी दे सकते हैं।”

केस्टेल ने आगे कहा, “सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य स्थिति अवसाद (डिप्रेशन) है, इससे ग्रस्त केवल नौ प्रतिशत लोगों को ही सहायता मिल पाती है। मनोविकृति से ग्रस्त केवल 40 प्रतिशत लोगों को ही मौके पर लाभ मिल पाता है। इसका मतलब है कि देशों को सर्विसेज डेवलप करने के और बेहतर तरीके खोजने होंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी देखभाल हो रही है और जरूरतमंदों को सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो रही हैं।”

जहां सेवाएं उपलब्ध भी हैं, वहां भी लागत, दूरी या अन्य कारणों से लोग पहुंच नहीं पाते।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त लोगों को मदद लेने से रोकने वाला एक महत्वपूर्ण कारक सामाजिक तौर पर अपमानित होने का डर भी है।

मेंटल हेल्थ के अलावा, यह कार्यक्रम अन्य गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) की रोकथाम और नियंत्रण पर भी जोर देगा, जो दुनिया भर में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारण बने हुए हैं।

हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह और पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित कई लोगों में, शारीरिक और मानसिक स्थितियां एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं।

डॉ. केस्टेल ने कहा, “सदस्य देशों ने कुछ ऐसे मुद्दों पर जोर देने का फैसला किया है जो सभी गैर-संचारी रोगों में समान हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े हैं, जैसे बच्चों और युवाओं का मानसिक स्वास्थ्य, आत्महत्या की रोकथाम, और सामुदायिक स्तर पर सेवाएं विकसित करने के प्रयास।”

संयुक्त राष्ट्र की यह उच्च-स्तरीय बैठक मानसिक स्वास्थ्य और गैर-संचारी रोगों को वैश्विक एजेंडे में मजबूती से शामिल करने का एक अवसर प्रस्तुत करती है।

–आईएएनएस

केआर/


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