अंबाजी कॉपर परियोजना को मिली हरी झंडी, गुजरात बनेगा कॉपर उत्पादन का नया केंद्र

गांधीनगर, 22 सितंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में गुजरात सरकार का अनमोल रत्न, गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन (जीएमडीसी) लिमिटेड, गर्व पूर्वक अंबाजी कॉपर प्रोजेक्ट को शुरू करने जा रहा है, जो भारत के सामरिक कॉपर क्षेत्र को नई दिशा देने वाला है।
यह परियोजना न केवल भारत की तांबे की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी, बल्कि गुजरात की औद्योगिक प्रगति, क्षेत्रीय विकास और रोजगार सृजन में भी मील का पत्थर साबित होगी। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात एक बार फिर साबित कर रहा है कि वह प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में देश का मार्गदर्शक राज्य है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत अपनी कुल कॉपर खपत का लगभग 90 प्रतिशत आयात करता है। ऐसे समय में अंबाजी कॉपर प्रोजेक्ट के तहत एकीकृत खनन और बेनिफिसिएशन संयंत्र की स्थापना बड़े पैमाने पर उत्पादन और दीर्घकालिक संसाधन स्थिरता सुनिश्चित करेगी। अंबाजी कॉपर प्रोजेक्ट गुजरात की औद्योगिक प्रगति, रोजगार सृजन और सामरिक खनिज आपूर्ति में अग्रणी भूमिका को दर्शाती है।
गुजरात की खनिज-समृद्ध पट्टी में स्थित अंबाजी कॉपर प्रोजेक्ट अन्वेषण, खनन और बेनिफिसिएशन की सभी प्रक्रियाओं को एक ही अत्याधुनिक सुविधा में एकीकृत करता है। 185 हेक्टेयर में फैली इस परियोजना में कॉपर, जिंक और लेड के समृद्ध भंडार मौजूद हैं। जीएमडीसी के अनुसार, परियोजना क्षेत्र में लगभग 1 करोड़ टन (10 मिलियन टन) खनिज भंडार है, जिसकी कुल परिसंपत्ति मूल्य लगभग 22,000 करोड़ रुपए आंका गया है, जिसमें अकेले कॉपर का मूल्य 18,000 करोड़ रुपए है। कॉपर के उच्च मूल्य को देखते हुए यह परियोजना विश्व की शीर्ष 10 खनिज परिसंपत्तियों में शामिल है।
परियोजना में कुल 24,000 मीटर की ड्रिलिंग की योजना है, जिनमें से 9,300 मीटर की ड्रिलिंग पहले ही सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी है। हाल ही में भारतीय खान ब्यूरो ने इस परियोजना की खनन योजना को स्वीकृति प्रदान की है। अंबाजी कॉपर प्रोजेक्ट गुजरात की पहली भूमिगत खनन परियोजना बनकर न केवल खनिज संपदा को उजागर करेगा, बल्कि 2,200 से अधिक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर सृजित कर आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
अंबाजी कॉपर परियोजना केवल औद्योगिक उत्पादन तक सीमित नहीं है, यह क्षेत्रीय विकास का भी उत्प्रेरक बनेगी। सड़कें, आवास और नागरिक सुविधाओं सहित अवसंरचना उन्नयन को गति मिलकर समावेशी विकास को बढ़ावा देगा। इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार के साथ कॉपर की मांग तेजी से बढ़ रही है, और यह परियोजना अकेले भारत की कॉपर कंसंट्रेट आवश्यकता का लगभग पांचवां हिस्सा पूरा करने की क्षमता रखती है। आगामी दशक में यह देश में स्थापित होने वाली एकमात्र मल्टी-मेटल खान बनकर आत्मनिर्भर और संसाधन-संपन्न भारत के निर्माण में नेतृत्व करेगी।
भारत में रिफाइंड कॉपर प्रोडक्शन की बात करें तो वित्त वर्ष 2024-25 में 5.73 लाख टन तक पहुंच गया, जो मजबूत घरेलू मांग के चलते साल-दर-साल 12.5% की वृद्धि दर्शाता है। क्षेत्रवार खपत में गतिशीलता (34%) का स्थान सबसे अधिक है, इसके बाद अवसंरचना (14%), औद्योगिक उपयोग (14%), उपभोक्ता उपकरण (13%), भवन एवं निर्माण (11%), और कृषि (6%) का स्थान आता है।
जीएमडीसी का अंबाजी कॉपर प्रोजेक्ट गुजरात की रणनीतिक दूरदृष्टि और भारत के भविष्य को ऊर्जा देने की प्रतिबद्धता का सशक्त प्रमाण है। यह परियोजना भारत की कॉपर आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिसे आगामी वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस (उत्तर गुजरात) में 9–10 अक्टूबर को मेहसाणा में प्रदर्शित किया जाएगा। इस आयोजन में सेमिनार और नेटवर्किंग सेशन आयोजित होंगे। साथ ही, 9 अक्टूबर को जीएमडीसी द्वारा क्रिटिकल मिनरल्स पर एक विशेष सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा।
–आईएएनएस
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