फैटी लिवर चुपचाप शरीर को पहुंचाता है नुकसान! आयुर्वेद से जानें बचाव के उपाय


नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। फैटी लिवर आज की दुनिया में एक आम, लेकिन गंभीर समस्या बन चुका है। यह बीमारी अक्सर चुपचाप बढ़ती है और जब तक व्यक्ति को इसका पता चलता है, तब तक स्थिति गंभीर हो जाती है।

फैटी लिवर का मतलब है कि लिवर में सामान्य से ज्यादा वसा (फैट) जमा हो जाती है। यदि यह वसा लिवर के कुल भार का 5-10 प्रतिशत से अधिक हो जाए, तो इसे फैटी लिवर कहा जाता है। आयुर्वेद में इसे यकृत-मेदोरोग कहा गया है, जिसमें लिवर की अग्नि कमजोर हो जाती है और फैट का सही पाचन नहीं हो पाता।

फैटी लिवर के मुख्य कारणों में अत्यधिक शराब का सेवन, मोटापा, उच्च वसा युक्त और तली-भुनी या फास्ट फूड की आदत, डायबिटीज और इंसुलिन रेजिस्टेंस, कम शारीरिक गतिविधि, कुछ दवाओं का अधिक सेवन, तनाव और अनियमित दिनचर्या शामिल हैं। इन कारणों से लिवर पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और शरीर की जैविक घड़ी प्रभावित होती है। आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर में फैट की वृद्धि होती है और अग्नि कमजोर पड़ जाती है, तो लिवर की कोशिकाएं फैट को तोड़ नहीं पाती, जिससे फैटी लिवर की स्थिति बनती है।

फैटी लिवर को साइलेंट डिजीज कहा जाता है क्योंकि यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है। समय रहते इसकी पहचान और जीवनशैली में बदलाव से इसे रोका जा सकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाकर फैटी लिवर से बचाव संभव है और लिवर की कार्यक्षमता बनाए रखी जा सकती है।

फैटी लिवर को नियंत्रित करने के लिए घरेलू उपाय भी प्रभावी हैं। सबसे पहले, आंवला का सेवन महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लिवर को डिटॉक्स करता है और पाचन अग्नि को मजबूत बनाता है। रोज खाली पेट आंवला जूस लेना लाभकारी होता है। हल्दी का सेवन भी लिवर की सूजन को कम करता है। हल्दी को गुनगुने दूध में मिलाकर रात को पीना फायदेमंद है। त्रिफला चूर्ण लिवर को शुद्ध करने और कब्ज दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा, नीम और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियां लिवर को विषैले तत्वों से मुक्त करती हैं। पपीता और लहसुन का सेवन भी लिवर पर बोझ कम करता है और फैटी लिवर के लिए लाभकारी होता है।

जीवनशैली में बदलाव भी जरूरी है। रोज कम से कम 30 मिनट पैदल चलना, योग, प्राणायाम और ध्यान करना चाहिए। शराब और धूम्रपान से पूरी तरह बचें और तैलीय, मसालेदार और जंक फूड कम करें। तनाव कम करने के लिए ध्यान और प्राणायाम अपनाएं। आहार में हरी सब्जियां, मौसमी फल, साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त भोजन शामिल करें। मीठे पेय पदार्थ जैसे कोल्ड ड्रिंक और पैक्ड जूस से बचें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

–आईएएनएस

पीआईएम/एएस


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