यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बाद माल्टा भी फिलिस्तीन को देगा मान्यता


नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। माल्टा सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को आजाद देश के तौर पर औपचारिक मान्यता देने की घोषणा करेगा, माल्टा के प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसकी जानकारी दी। कहा कि वो भी इस कदम को उठाने वाले देशों के समूह में शामिल हो रहा है।

द टाइम्स ऑफ इजरायल के अनुसार, माल्टा के प्रधानमंत्री रॉबर्ट अबेला ने मई में फिलिस्तीनी देश को मान्यता देने की योजना बनाई थी। भूमध्यसागरीय यूरोपीय संघ के इस द्वीप का फिलिस्तीनी मुद्दों के समर्थन का इतिहास रहा है और इसने इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बनाए रखते हुए द्वि-राज्य समाधान के प्रयासों का समर्थन किया है।

पूर्व फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात की पत्नी कई वर्षों तक इस द्वीप पर रही थीं।

रविवार देर रात, अबेला ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए गाजा को पहुंचाई जा रही मदद का उल्लेख करते हुए कहा कि “फिलिस्तीन को मान्यता दिए जाने की पूर्व संध्या पर” माल्टा की ओर से दान की गई आटे की खेप गाजा डिलीवर हुई।

उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन को मान्यता देना “ऐतिहासिक” है और माल्टा इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

एक दिन पहले ही यानी रविवार को कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बाद यूके ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र और संप्रभु देश के रूप में मान्यता देने का ऐलान किया। ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने एक लंबे-चौड़े वीडियो पोस्ट के जरिए मंशा जाहिर की। हालांकि इस कदम का इजरायल ने पुरजोर विरोध किया।

हमास के 7 अक्टूबर, 2023 के नरसंहार के बाद इजरायल ने फिलिस्तीन की एकतरफा मान्यता को “आतंक के लिए पुरस्कार” बताया। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, “हमारी जमीन पर आतंकवादी राज्य थोपने की इस नई कोशिश का जवाब मैं अमेरिका से लौटने के बाद दूंगा।”

तीनों देशों की सरकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “7 अक्टूबर के भयावह नरसंहार के बाद फिलिस्तीनी देश को मान्यता देने वाले नेताओं के लिए मेरा एक स्पष्ट संदेश है कि आप आतंक को एक बड़ा इनाम दे रहे हैं और मेरे पास आपके लिए एक और संदेश है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। जॉर्डन नदी के पश्चिम में कोई फिलिस्तीनी देश नहीं होगा।”

–आईएएनएस

केआर/


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