हल्द्वानी में एशियाई कैडेट कप तलवारबाजी की शुरुआत, 190 खिलाड़ी ले रहे भाग


हल्द्वानी, 19 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में शुक्रवार से एशियाई कैडेट कप तलवारबाजी (फेंसिंग) प्रतियोगिता की शुरुआत हो गई है। इस चार दिवसीय टूर्नामेंट में भारत सहित 17 देशों के अंडर-17 खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।

एशियाई कैडेट कप तलवारबाजी में 17 देशों के तलवारबाज अपना दमखम दिखाने पहुंचे हैं। इस खेल का आयोजन भारतीय तलवारबाजी संघ द्वारा किया जा रहा है। इस प्रतियोगिता में एशिया के विभिन्न देशों के खिलाड़ी भाग लेने के लिए पहुंचे है।

प्रतियोगिता का उद्घाटन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया। उन्होंने भारतीय तलवारबाजी संघ और खेल विभाग को इस आयोजन के लिए बधाई दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि तलवारबाजी हमारा एक पारंपरिक खेल है, जिसका जिक्र हमारे शास्त्रों में भी मिलता है।

रानी लक्ष्मीबाई जैसी महान विभूतियों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि फेंसिंग अब धीरे-धीरे वैश्विक पहचान बना रहा है और भारतीय खिलाड़ी भी इसमें अपना परचम लहरा रहे हैं। इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन से उत्तराखंड का गौरव बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार हमेशा खिलाड़ियों के साथ खड़ी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चला रही है, ताकि उन्हें बेहतर मंच मिल सके। राष्ट्रीय खेलों की सफल मेजबानी के बाद अब उत्तराखंड को ‘खेल भूमि’ के रूप में जाना जा रहा है। इसी दिशा में सरकार हल्द्वानी में एक खेल विश्वविद्यालय और लोहाघाट में महिला स्पोर्ट्स कॉलेज भी बनाने जा रही है। उत्तराखंड लगातार खेलों में नया आयाम स्थापित कर रहा है।

इस प्रतियोगिता में कुल 190 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जिनमें 46 विदेशी और 144 भारतीय खिलाड़ी शामिल हैं। विदेशी खिलाड़ियों में 13 महिला और 33 पुरुष खिलाड़ी हैं।

प्रतियोगिता में मंगोलिया, ईरान, बहरीन, इराक, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, मलेशिया, फिलीपींस, उज्बेकिस्तान, थाईलैंड, ब्रुनेई दारुस्सलाम, ऑस्ट्रेलिया, तुर्कमेनिस्तान, लेबनान, ताजिकिस्तान और श्रीलंका के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं।

यह प्रतियोगिता 22 सितंबर तक चलेगी, जिसका आयोजन भारतीय तलवारबाजी संघ द्वारा किया जा रहा है। इस तरह के अंतरराष्ट्रीय आयोजन न केवल खिलाड़ियों को मंच प्रदान करते हैं, बल्कि राज्य में खेल संस्कृति को भी बढ़ावा देते हैं।

–आईएएनएस

एसएके/जीकेटी


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