आसियान देशों के बीच बढ़ रही भारत की स्थिति, चीन के प्रति इन देशों का मोहभंग

आसियान देशों के बीच बढ़ रही भारत की स्थिति, चीन के प्रति इन देशों का मोहभंग

आसियान देशों के बीच भारत लगातार अपना प्रभाव बना रहा है। सिंगापुर के आईएसईएएस-यूसुफ इशाक इंस्टीट्यूट के एक हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक आसियान देशों के बीच भारत की स्थिति बढ़ रही है, जबकि चीन के प्रति इन देशों का मोहभंग हो रहा है। सर्वे में ज्यादातर लोगों के मुताबिक, अमेरिका और चीन के बीच चल रही दुश्मनी के चलते आसियान देश भारत को भरोसेमंद बता रहे हैं।

आसियान देशों में भारत ने 2023 में अपनी स्वीकृति को 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 11.3 प्रतिशत कर दिया। भारत में छह में से तीसरे स्थान पर आने में सफल रहा है। पहले तीन स्थान पर ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और दक्षिण कोरिया हैं। यह हालात तब हैं जब रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की तटस्थता बरकरार है। यूरेशियन टाइम्स में एक रिपोर्ट के अनुसार, आसियान देशों की नजर में भारत भरोसेमंद देश की तरह उभर रहा है। जबकि इन देशों का चीन के प्रति दिलचस्पी कम हो रही है।

भारत ने 1990 के दशक में “लुक ईस्ट पॉलिसी” शुरू की थी, जिसे बाद में रिपोर्ट के अनुसार “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” में अपग्रेड किया गया।  आसियान देशों में लगातार मजबूत होती पकड़ के कारण भारत ने रणनीतिक आयाम हासिल किया है। यूरेशियन टाइम्स ने बताया कि भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देश कई तरह के खतरों से निपटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों स्तरों पर अपने रक्षा और सुरक्षा संबंधों को मजबूत कर रहे हैं।

भारत की छवि में सुधार
यूरेशियन टाइम्स ने बताया कि आसियान सदस्यों के साथ रक्षा सहयोग अब वियतनाम, मलेशिया और थाईलैंड में लड़ाकू जेट पायलटों और पनडुब्बी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने, इंडोनेशिया में लड़ाकू विमानों को बनाए रखने और फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइलों का निर्यात करने के लिए तैयार है। इस सहयोग ने हाल ही में आसियान देशों में भारत की छवि में सुधार किया है। 

चीन का विकल्प भारत
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों ने भी भारत को एक सैन्य शक्ति के रूप में देखना शुरू कर दिया है। यह पूछे जाने पर कि वे भारत पर भरोसा क्यों करते हैं? 18.2 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि भारत की सैन्य शक्ति वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए है। एक साल पहले केवल 6.6 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस राय का विकल्प चुना था। इस बार यह संख्या तीन गुना बढ़ी है, जो दर्शाता है कि भारत चीन का विकल्प बन रहा है।

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