नवरात्र दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी माता के किये भक्तों ने दर्शन

नवरात्र दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी माता के किये भक्तों ने दर्शन

लखनऊ। चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत सभी जिलों में मंदिरों में माता के द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी स्वरूप के दर्शन पूजन को श्रद्धालु उमड़े। भोर से ही माता के दरबार में मां की एक झलक पाने के लिए भक्त इंतजार में खड़े रहे। जय माता की जयकारों के साथ ही मंदिरों में भक्तों की भीड़ लग गई। मां के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठे। सुबह होते ही भक्त मंदिर में पहुंचे पूजा-अर्चना में जुट गए। व्रत रखने वालों ने व्रत रखा और बाजार में व्रत के सामान की जमकर खरीदारी की। वहीं कल तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जायेगी।
राजधानी लखनऊ के चौक स्थित काली जी मंदिर, चौक के ही कोनेश्वर मंदिर, शास्त्री नगर के मां दुर्गा के मंदिर, छितवापुर पजावा स्थित भुइयन देवी मंदिर, टिकैटगंज के शीतलादेवी मंदिर, राजाजीपुरम के हनुमान मंदिर, लालबाग के बड़ी काली जी मंदिर, बीकेटी के चाद्रिका देवी मंदिर समेत दर्जन मंदिरों में सुबह से ही दर्शन करने वाली की भीड़ लगी रही।

लगा मेला

जहां एक ओर लोगों ने मंदिर में माता के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। वहीं मंदिरों के बाहर लगे मेले में जमकर खरीददारी भी की। मेले में बच्चों के खिलौने से लेकर, माता की पूजा-अर्चना तक के सभी वस्तुएं मौजूद थी। मेले की भीड़ को संभालने के लिए पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद रहा।

पहले दिन मां शैलपुत्री का

चैत्र नवरात्र का आरम्भ बुधवार से हुआ। इस दिन कलश स्थापना के साथ भक्तों ने मां व्रत की शुरूआत की। व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं में महिलाओं की संख्या ज्यादा रही। वहीं नवरात्र के मंदिरों में प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा की गई थी। मंदिर के पुजारियों के अनुसार शैलपुत्री माता का यह रूप अनेक नामों से लोक प्रसिद्ध है। सती, पार्वती, दुर्गा, उमा, अपर्णा, गौरी, महेश्वरी, शिवांगी, शुभांगी, पर्वतवासिनी आदि नाम शामिल हैं। पूर्व जन्म में इनके पिता दक्ष थे। राजा दक्ष ने प्रजेश होने पर यज्ञ किया पर अपने दामाद शिव को निमंत्रण नहीं दिया। भगवान शंकर की अनुमति के बिना सती अपने पिता के यहां चली गई। यज्ञ स्थल पर पहुंचने पर सती का तिरस्कार हुआ। इस पर सती यज्ञ की अग्नि में कूद पड़ी। सती का अगला जन्म शैलराज की पुत्री पार्वती के रुप में हुआ।

पूजन सामग्री और फलों के दाम बढ़े

नवरात्र के शुरू होते ही बाजार में पूजन सामग्री में भारी उछाल आ गया है। व्रत में प्रयोग होने वाले खाद्य पदार्थाे से लेकर पूजन सामग्री खरीदना लोगों के बस से बाहर हो गया है। बाजार में पांच रुपये वाली चुनरी 10 रुपये की चुनरी रुपये में मिल रही है। नारियल 20 की जगह 25 और कलश 15 की जगह 20 रुपये में मिल रहा है।

नवरात्रि का विशेष महत्व

बताते चलें कि सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के इन पावन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा धरती पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। चौत्र नवरात्रि का इस बार 30 मार्च को समापन होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष चार बार नवरात्रि मनायी जाती है जिसमें से चौत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है जबकि दो गुप्त नवरात्रि होती है जिसमें तांत्रिक क्रियाएं होती है। इस बार चौत्र नवरात्रि का पर्व बहुत ही खास रहने वाला होगा क्योंकि 110 साल बाद नवरात्रि पर महासंयोग बना है। पंचांग के मुताबिक चौत्र माह की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च की रात्रि के 10 बजकर 55 मिनट पर हो जाएगी लेकिन उदया तिथि के अनुसार चौत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च को होगी। इस बार चौत्र नवरात्रि की शुरुआत बेहद ही शुभ संयोग में होने जा रही है। ज्योतिष गणना के मुताबिक देवी दुर्गा के महापर्व की शुरुआत चार योगों के निर्माण के साथ होगी।

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