झारखंड सीआईडी की बड़ी कार्रवाई, 15 हजार म्यूल अकाउंट की पहचान, कई राज्यों में सक्रिय सात आरोपी गिरफ्तार


रांची, 21 अगस्त (आईएएनएस)। झारखंड पुलिस के अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) ने साइबर क्राइम नेटवर्क के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। विभाग ने ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 15,000 म्यूल बैंक अकाउंट्स की पहचान की है। ऐसे कई अकाउंट्स को ऑपरेट करने वाले सात आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया है।

सीआईडी की ओर से गुरुवार को दी गई जानकारी के अनुसार, म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल साइबर धोखाधड़ी की रकम जमा करने और अन्य अवैध लेनदेन के लिए किया जाता है। इस सिलसिले में जिन आरोपियों को पकड़ा गया है, उससे इंटरस्टेट क्राइम लिंकेज का खुलासा हुआ है।

इनमें रौशन कुमार तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में ऐसे खातों को ऑपरेट करता था। राजेंद्र साव दिल्ली में बैठकर साइबर ठगी को अंजाम देता था।

प्रेम रंजन सिन्हा आंध्र प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के लोगों को साइबर ठगी के जाल में फंसाता था। जितेंद्र कुमार पप्पू केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र और चंडीगढ़ में सक्रिय था। नूरेज अंसारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, चंडीगढ़ और पश्चिम बंगाल में अपराध करता था, जबकि सतीश कुमार आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में सक्रिय था।

इसी तरह गणेश चिक बड़ाइक कर्नाटक, हिमाचल, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में लेनदेन और धोखाधड़ी के मामलों में शामिल था।

बताया गया कि 10 लाख रुपए या उससे अधिक के लेनदेन वाले 40 खातों की पहचान करते हुए 29 जुलाई को पहली एफआईआर दर्ज की गई। जांच आगे बढ़ी तो भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाले ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई 4सी) की ओर से संचालित समन्वय पोर्टल के विश्लेषण के बाद 15 हजार म्यूल अकाउंट की पहचान हुई।

पकडे़ गए आरोपी मुख्य रूप से निवेश घोटालों में शामिल थे और उनका नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है। जांच अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से जुड़े बैंक खातों और लेनदेन की कई शिकायतें बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में दर्ज हैं।

सीआईडी अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई के बाद निवेश घोटाले और साइबर अपराधियों के नेटवर्क को बड़ा नुकसान पहुंचा है। म्यूल अकाउंट और वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम में भी इसे महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है। जांच अभी भी जारी है और अन्य संबंधित आरोपियों की पहचान के लिए अभियान चलाया जा रहा है।

–आईएएनएस

एसएनसी/एबीएम


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