निगम को नहीं पता दिल्ली में कितने आवारा कुत्ते है..

निगम को नहीं पता दिल्ली में कितने आवारा कुत्ते है..

दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2022 से लेकर जनवरी 2023 तक केवल 52758 कुत्तों का ही बंध्याकरण हो सका है। यानी प्रत्येक माह करीब 5862 कुत्तों का ही बंध्याकरण हो रहा है।

 राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों द्वारा अक्सर बच्चों और बुजुर्गों को गंभीर रूप से काटने की घटनाएं होती रहती है, लेकिन निगम मामले में कितना गंभीर है। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि लक्ष्य 10 हजार कुत्तों के बंध्याकरण का है, लेकिन, 5,862 कुत्तों का ही बंध्याकरण हो पा रहा है, जबकि हर वर्ष 10 हजार से ज्यादा लोग केवल निगम के अस्पतालों में ही कुत्तों के काटने के बाद एंटी रेबीज टीकाकरण कराते हैं।

निगम के अनुसार, फिलहाल अभी 21 बंध्याकरण केंद्र हैं। इसमें 17 केंद्र संचालित हैं, जिनमें स्वयंसवी संगठनों के माध्यम से आवारा कुत्तों के बंध्याकरण का कार्य चल रहा है। इन केंद्रों पर प्रति माह 10 हजार आवारा कुत्तों का बंध्याकरण किया जाने का लक्ष्य है, जबकि निगम के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2022 से लेकर जनवरी 2023 तक केवल 52,758 कुत्तों का ही बंध्याकरण हो सका है। यानी प्रत्येक माह करीब 5,862 कुत्तों का ही बंध्याकरण हो रहा है। निगम को बेसहारा कुत्तों की संख्या रोकने में शतप्रतिशत सफलता नहीं मिली है, जबकि 2001 में संबंधित कानून आ गया था।

निगम को नहीं पता दिल्ली में कितने आवारा कुत्ते

एनीमल बर्थ कंट्रोल एक्ट 2001 में आवारा कुत्तों की संख्या में बढोत्तरी न हो, इसके लिए बंध्याकरण का उपाय बताया गया है। नियमानुसार प्रत्येक वार्ड में अधिकतम 80 प्रतिशत तक बंध्याकरण होना चाहिए, लेकिन निगम को फिलहाल कुछ ही वार्ड में 80 प्रतिशत तक बंध्याकरण करने में सफलता मिली थी, बाकी ज्यादातर वार्ड में तो निगम को पता ही नहीं है कि कितने आवारा कुत्ते घूम रहे हैं।

पूर्वकालिक दक्षिणी निगम ने 2016 में चार जोन में आवारा कुत्तों की संख्य गणना को लेकर सर्वे किया था। इसमें चार जोन में 1,89,285 कुत्तों का पता चला था। इसमें 35 प्रतिशत यानी 67,682 कुत्ते बंध्याकृत पाए गए थे। जबकि पूर्वकालिक उत्तरी और पूर्वी नगर निगम ने तो कोई सर्वे अभी तक किया ही नहीं है।

बंध्याकरण का फौरी तौर पर नहीं मिलता कोई लाभ निगम पागल कुत्तों और रेबीज से पीड़ित कुत्ते को मार सकता है, लेकिन इसके लिए निगम को विशेषज्ञों की एक कमेटी बनानी होती है। जांच के बाद ही यह निर्णय लिया जाता है। बंध्याकरण के बाद कुत्ते को उसी स्थान पर छोड़ने का प्रविधान है। अक्सर आरडब्ल्यूए की शिकायत आती है कि बंध्याकरण के बाद कुत्ते में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है, उसके काटने की संभावना बढ़ जाती है।

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