भारत का कपड़ा निर्यात 2024-25 में 37.75 अरब डॉलर के पार : पबित्रा मार्गेरिटा


नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। भारत का कपड़ा और परिधान का कुल निर्यात 2024-25 में बढ़कर 37.75 अरब डॉलर के पार हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष के 35.87 अरब डॉलर के इसी आंकड़े से 5 प्रतिशत अधिक है। यह जानकारी शुक्रवार को संसद को दी गई।

कपड़ा राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा कि सरकार कपड़ा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने, रोजगार के अवसर पैदा करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है।

सरकार ने पीएम मित्र पार्क स्थापित करने के लिए सात स्थलों को मंजूरी दी है, जिनमें गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में एक-एक पार्क शामिल हैं।

राज्य मंत्री ने बताया कि पार्क के गेट तक एक्सटर्नल इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध करवाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा 1,197.33 करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर कार्य शुरू किए गए हैं और अब तक 291.61 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

सरकार हथकरघा क्षेत्र के आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण तथा देश भर के हथकरघा श्रमिकों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम और कच्चा माल आपूर्ति योजना भी लागू कर रही है।

राज्य मंत्री ने बताया कि इन योजनाओं के तहत, पात्र हथकरघा एजेंसियों और श्रमिकों को कच्चा माल, अपग्रेडेड करघों और सहायक उपकरणों की खरीद, सोलर लाइटिंग यूनिट्स, वर्कशेड निर्माण, उत्पाद विविधीकरण और डिजाइन इनोवेशन, टेक्निकल और कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर, घरेलू/विदेशी बाजारों में हथकरघा उत्पादों की मार्केटिंग, बुनकरों की मुद्रा योजना के तहत रियायती ऋण और सामाजिक सुरक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

इसके अलावा, सरकार वस्त्र क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए समर्थ योजना लागू कर रही है।

इस योजना का उद्देश्य संगठित वस्त्र और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार सृजन के उद्योग के प्रयासों को पूरक बनाने हेतु मांग-आधारित, नियोजन-उन्मुख कौशल कार्यक्रम प्रदान करना है, जिसमें संगठित क्षेत्र में कताई और बुनाई को छोड़कर, वस्त्र उद्योग की संपूर्ण वैल्यू चेन शामिल है।

समर्थ योजना का क्रियान्वयन अखिल भारतीय स्तर पर किया जा रहा है।

राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने बताया कि समर्थ योजना के तहत, 24 जुलाई तक, कुल 4,57,724 लाभार्थियों को प्रशिक्षित (उत्तीर्ण) किया जा चुका है, जिसमें हथकरघा और हस्तशिल्प जैसे पारंपरिक क्षेत्र भी शामिल हैं।

–आईएएनएस

एसकेटी/


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