जानें शीतला अष्टमी वर्त का महत्व…

जानें शीतला अष्टमी वर्त का महत्व…

शीतला सप्तमी को बसौड़ा भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। शीतला अष्टमी का त्योहार होली से ठीक आठ दिन बाद आता है। इस साल शीतला अष्टमी 15 मार्च 2023 को मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन मां शीतला का पूजन करने से कई तरह के दुष्प्रभावों से भक्तों को मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि माता शीतला का व्रत रखने से कई तरह के रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही लोग पूरे साल चर्म रोग व चेचक जैसी बीमारियों से दूर रहते हैं।

शीतला अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त-

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 मार्च को सुबह 12 बजकर 09 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 16 मार्च को रात 10 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। शीतला अष्टमी पूजन का उत्तम मुहूर्त सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 06 बजकर 35 मिनट तक है। 

मां शीतला को लगाते हैं बासी खाने का भोग-

शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला को बासी ठंडे खाने ही भोग लगाते हैं, जिसे बसौड़ा कहा जाता है। यही बासा भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।

शीतला अष्टमी का महत्व-

शास्त्रों के अनुसार, शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। माता शीतला की पूजा से पर्यावरण को स्वच्छ व साफ रखने की प्रेरणा प्राप्त होती है। ऋतु परिवर्तन होने के संकेत मौसम में कई प्रकार के बदलाव लाते हैं और इन बदलावों से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना जाता है। मान्यता है कि अष्टमी तिथि के बाद बासी खाना नहीं खाया जाता है।

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