पिछले 6 वर्षों में भारत के फार्मा निर्यात में 92 प्रतिशत की वृद्धि हुई : अनुप्रिया पटेल

नई दिल्ली, 26 जुलाई (आईएएनएस)। संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए केंद्र द्वारा लागू की जा रही विभिन्न योजनाओं के परिणामस्वरूप भारत के दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स निर्यात में 92 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 1,28,028 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 2,45,962 करोड़ हो गया है।
रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एक प्रश्न के लिखित जवाब में लोकसभा को बताया कि इन योजनाओं में प्रमोशन ऑफ रिसर्च एंड इनोवेसन इन फार्मा-मेडटेक (पीआरआईपी) योजना, फार्मास्यूटिकल्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना, बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने की योजना और फार्मास्यूटिकल उद्योग को मजबूत करने की योजना शामिल है।
भारत के फार्मा और मेडटेक सेक्टर को लागत-आधारित से इनोवेशन-आधारित विकास में बदलने के लिए 5,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ पीआरआईपी योजना शुरू की गई है।
इसका उद्देश्य रिसर्च को मजबूत करना और औषधि खोज एवं विकास तथा चिकित्सा उपकरणों जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में आरएंडडी के लिए उद्योग-अकादमिक संपर्क को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए गए हैं।
फार्मास्युटिकल्स के लिए पीएलआई योजना का उद्देश्य इस क्षेत्र में निवेश और उत्पादन बढ़ाकर और फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में उच्च-मूल्य वाली वस्तुओं के लिए उत्पाद विविधीकरण में योगदान देकर भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना है।
राज्य मंत्री ने कहा कि इस योजना ने पात्र उत्पादों में निवेश और उत्पादन को बढ़ाया है।
मार्च 2025 तक, योजना की छह वर्ष की अवधि के लिए लक्षित 17,275 करोड़ रुपए के प्रतिबद्ध निवेश से योजना के तीसरे वर्ष तक 37,306 करोड़ रुपए का संचयी निवेश हो चुका है और 2,66,528 करोड़ रुपए के स्वीकृत उत्पादों की संचयी बिक्री हुई है, जिसमें 1,70,807 करोड़ रुपए का निर्यात शामिल है।
बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना का उद्देश्य महत्वपूर्ण दवाओं को बनाने में प्रयुक्त होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) की सप्लाई में व्यवधान से बचना है। योजना का कुल बजटीय परिव्यय 6,940 करोड़ रुपए है।
उन्होंने आगे बताया कि मार्च 2025 तक, योजना के तहत छह साल की उत्पादन अवधि में निवेश के लिए स्वीकृत परियोजनाओं के तहत 3,938.5 करोड़ रुपए का प्रतिबद्ध निवेश, योजना के तीसरे वर्ष तक किए गए 4,570 करोड़ रुपए के संचयी निवेश के साथ, काफी हद तक पार हो गया है।
राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने सभी को किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना शुरू की है।
इस योजना के तहत, देश भर में जन औषधि केंद्र (जेएके) के रूप में जाने जाने वाले समर्पित आउटलेट खोले जाते हैं, जो बाजार में प्रमुख ब्रांडेड दवाओं की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत से 80 प्रतिशत कम कीमतों पर दवाइयां उपलब्ध कराते हैं।
6 जून, 2025 तक, कुल 16,912 जेएकेखोले जा चुके हैं और औसतन लगभग 10 से 12 लाख लोग प्रतिदिन इन केंद्रों पर आते हैं और किफायती दामों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां प्राप्त करते हैं। इस योजना के अंतर्गत 2,110 दवाइयां और 315 शल्य चिकित्सा उपकरण, चिकित्सा उपभोग्य वस्तुएम और उपकरण शामिल हैं।
राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि इस योजना के परिणामस्वरूप, पिछले 11 वर्षों में, ब्रांडेड दवाओं की कीमतों की तुलना में नागरिकों को लगभग 38,000 करोड़ रुपए की अनुमानित बचत हुई है। इसके अलावा, इस योजना ने 6,800 से अधिक महिला उद्यमियों सहित 16,000 से अधिक लोगों को स्वरोजगार प्रदान किया है।
–आईएएनएस
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