सम्मन जारी करते वक्त आरोपों की सत्यता तय नहीं की सकती

सम्मन जारी करते वक्त आरोपों की सत्यता तय नहीं की सकती

प्रयागराज ब्यूरो :

मेरठ के न्यायिक मजिस्ट्रेट के समन आदेश के खिलाफ पंकज त्यागी की ओर से दाखिल अर्जी को ख़ारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा है कि समन जारी करते समय आरोपों की सत्यता को तय नहीं किया जा सकता है | दरअसल, मेरठ की एक पीड़ित महिला ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा-156(3) के तहत आवेदन देकर आरोप लगाया था कि 27 अगस्त 2014 की रात वह अपने कमरे में सो रही थी | 11 बजे के करीब आरोपी पंकज त्यागी उसके कमरे में घुसकर उससे दुष्कर्म करने की कोशिश की | पीड़ित महिला के चीखने पर उसकी माँ जाग गयी और आरोपी को पकड़ लिया |लेकिन कुछ ही देर में वह वहाँ से भागने में कामयाब रहा और भागते हुए उसने पीडिता को धमकी दिया कि यदि पीडिता ने उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाया तो वह उस पर तेजाब से हमला कर देगा | पीडिता के इसी आवेदन को न्यायिक मजिस्ट्रेट, मेरठ ने स्वीकार करते हुए सम्बंधित थाना प्रभारी को FIR दर्ज कर मामले की जाँच करने का आदेश दिया |

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