पुणे में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर हमला मामला, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बोले- ये साजिश


मुंबई, 8 जुलाई (आईएएनएस)। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन वसंतराव सपकाल ने पुणे के रेलवे स्टेशन के सामने महात्मा गांधी की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा। उन्होंने इसे भाजपा की साजिश करार दिया।

हर्षवर्धन सपकाल ने मंगलवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में कहा, “इस प्रकरण ने एक बार फिर से भाजपा की घिनौनी मानसिकता को सबके सामने लाकर रख दिया है। इस घटना ने यह साबित करके दिखा दिया है कि भाजपा बंधुत्व की विचारधारा से बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखती है। लेकिन, हम इस सोच को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं।”

उन्होंने दावा किया कि इससे पहले भाजपा ने अपने भाषण में बढ़-चढ़कर गोडसे का जिक्र किया था और गोडसे कोई और नहीं, बल्कि महात्मा गांधी की हत्या करने वाला व्यक्ति था। मगर भाजपा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। एक सभ्य समाज में हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते है।

दरअसल, बीते दिन महाराष्ट्र के पुणे रेलवे स्टेशन के सामने स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा को तोड़ने की कोशिश की गई थी। हालांकि पुलिस ने आरोपी को मौके पर ही पकड़ लिया। जिसकी पहचान सूरज शुक्ला के रूप में हुई, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी का रहने वाला है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, राजेश शुक्ला पिछले दो महीने से पुणे में रह रहा था और माला बेचकर अपनी आजीविका चला रहा था।

इसके साथ ही, हर्षवर्धन सपकाल ने सीएम देवेंद्र फडणवीस की तरफ से लाए गए जन सुरक्षा कानून को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना किसी वजह के भी गिरफ्तार किया जा सकता है। समाज में बंधुत्व और समता खत्म हो जाएगी। उन्होंने इसकी तुलना अंग्रेजों के रॉलेट एक्ट से की। कहा, “यह लोग नहीं चाहते हैं कि कोई प्रगतिशील विचारधारा की बात करे। अगर कोई ऐसा करेगा, तो उसे सलाखों के पीछे डाल देंगे। इस प्रकार का यह कानून है। यह एक तरह का काला कानून है, जिसे प्रदेश में लाने की तैयारी चल रही है।”

महाराष्ट्र में हिंदी भाषी राज्यों के लोगों के साथ हो रही बदसलूकी को भी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने निंदनीय बताया। उन्होंने कहा, ” हिंदी भाषा से संबंधित कई लोग यहां रहते हैं। सभी लोग हिंदी और मराठी भाषा का सम्मान करते हैं। लेकिन, कुछ चुनिंदा हिंदी समाज के लोग मराठी भाषा का तिरस्कार कर रहे हैं और कुछ गुंडागर्दी करने वाले लोग हिंदी भाषा के लोगों को परेशान कर रहे हैं।”

–आईएएनएस

एसएचके/केआर


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